नए रंग में संघ

November 10 2014


संघ के बढ़ते प्रभुत्व और प्रभाव का एक नजारा पिछले दिनों मुंबई के बांद्रा-कुर्ला कांम्पलेक्स में देखने को मिला, जहां छत्रपति शिवाजी के जीवन पर आधारित एक नाटक ‘जानता राजा’ का हजारवां शो आयोजित था, हालांकि इस ‘प्ले’ से जानबूझ कर मीडिया को दूर रखा गया, पर शो को यादगार बनाने के लिए ‘बांबे इलिट क्लब’ समेत 200 गणमान्य लोगों को न्यौता भेजा गया। मुकेश अंबानी, कुमार मंगलम जैसे धन कुबेर अप्रत्याशित तौर पर संघ प्रमुख मोहन भागवत के बगलगीर दिखे। महाराष्ट्र के नए नवेले मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नीस और उनकी सरकार के एक अहम मंत्री विनोद तावड़े के अलावा वहां प्रांत प्रचारकों की मौजूदगी भी देखी गई। इस मौके पर फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े कई महत्त्वपूर्ण लोगों की उपस्थिति भी देखी गई। मसलन, अभिनेता रितिक रोशन और फिल्म निर्माता निर्देशक सुभाष घई इस पूरे कार्यक्रम में बेहद उत्साह से भाग लेते देखे गए। सुरेश सोनी की भले ही गद्दी छिन गई हो, पर संघ में उनकी पूछ कम नहीं हुई है, वे भी इस मौके पर खास तौर पर पधारे थे। सनद रहे कि सोनी इन दिनों ‘ट्रांन्सर्फर ऑफ पॉवर’ की प्रक्रिया से गुजर रहे हैं और वे भाजपा के नए संघ प्रभारी कृष्ण गोपाल को भाजपा-संघ अंतर्संबंधों की बारीकियों समझाने में जुटे हैं। शाम के 6 से साढ़े 6 बजे तक भागवत का संबोधन और नाटक का इंट्रोडक्शन था। हालांकि यह पूरा नाटक मराठी में था, मराठी न तो मुकेश अंबानी को समझ में आती है और न ही कुमारमंगलम बिड़ला को, और न ही रंगकर्म से इनका कोई जुड़ाव ही है। पर रंग बदलती सियासत की अनलिखी इबारतों को पढ़ पाने की महारथ होती है धन कुबेरों में, सो जब तक नाटक चलता रहा, कोई भी नहीं हिला, दो-ढाई घंटे बाद जब इसकी समाप्ति हुई तो अंबानी, बिड़ला सभी इस नाटक की तारीफों के पुल बांधते नजर आए, आज सियासत से बड़ा रंगमंच कुछ भी नहीं और अदाकरी चाहे असल जिंदगी में हो या रंगकर्म का हिस्सा बनकर, उससे गुजर कर जो आगे बढ़ता है सत्ता के कंगूरे झुक कर बस उन्हें ही सलाम बजाते हैं।

 
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