’हम बेखबर ही रहते अगर तेरा इस ओर आना न होता
यह हसीन शाम रूठी ही रहती अगर सूरज का जाना न होता’
देश की नई राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने जब से राष्ट्रपति भवन में कदम रखा है यहां की आबोहवा बदल गई है। राष्ट्रपति भवन के अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए यह सुकून भरे एक ठंडे हवा के झोंके की मानिंद है, अपने पूर्ववर्तियों से दीगर राष्ट्रपति मुर्मू ने आते ही कई घोषित मिथक तोड़ डाले हैं, राष्ट्रपति भवन के कर्मचारियों को याद नहीं आता है कि अब से पहले किसी राष्ट्रपति ने अपने निजी खर्चे से उनके और उनके बच्चों के लिए दीपावली की मिठाईयां भेजी हों। सूत्र बताते हैं कि ’राष्ट्रपति का अकेले मिठाई के डब्बों और उपहार पर कोई दो से ढाई लाख का खर्च आया था, जिसे उन्होंने खुद वहन किया।’ राष्ट्रपति भवन के कर्मचारी गण उनकी सादगी, शालीनता और जीवन जीने की सरलता के कायल हो गए हैं। वह अलस्सुबह तीन बजे उठ जाती हैं, फिर कोई घंटे भरे योग और ध्यान का नियमित अभ्यास करती हैं, फिर चार बजे मार्निंग वॉक के लिए निकल जाती है, जो लगभग पौने घंटे की होती है। अब राष्ट्रपति भवन के किचन में बिना प्याज-लहसुन के केवल शाकाहारी भोजन पकता है, मांसाहारी भोजन का प्रचलन बंद हो गया है। राष्ट्रपति भवन का किचन भी रात दस बजे तक बंद करने को कह दिया गया है। पहले देर रात ड्युटी खत्म कर घर जाने वाले कर्मचारियों को कोई यात्रा भत्ता भी नहीं मिलता था, अब यह मिलने लगा है। राष्ट्रपति को भली भांति इस बात का इल्म है कि नए भारत का चेहरा सबसे ज्यादा देश के युवाओं से मिल कर बनता है, सो युवाओं से जुड़ने और उनकी प्रति आशाओं को ठीक से समझने के लिए वह सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘फेसबुक’ पर भी अपना काफी समय लगाती हैं, अपने उद्बोधनों के लिए छोटे-छोटे नोट्स बनाती हैं, जिन्हें उनके मुख्य भाषण में शामिल कर लिया जाता है। शीर्ष बदलेगा तो यकीनन इसकी महक देश की तासीर में भी महसूस होगी।