अपने साढ़ू को मथुरा से टिकट देना चाहते हैं राजनाथ सिंह

September 04 2013


भाजपाध्यक्ष राजनाथ सिंह के साढ़ू अरूण सिंह इस दफे के लोकसभा चुनाव में यूपी के मथुरा संसदीय क्षेत्र से अपनी किस्मत आजमाना चाहते हैं, और समझा जाता है कि उनकी इस मुहिम को उनके बड़े साढ़ू राजनाथ सिंह का भी पूरा समर्थन हासिल है। पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट अरूण सिंह यूं तो पूर्वी दिल्ली के मयूर विहार इलाके के रहने वाले हैं। पर उनका ज्यादातर वक्त ग्रेटर नोएडा के एक मैनेजमेंट संस्थान में व्यतीत होता है। सूत्रों की मानें तो इस संस्थान की मिल्कियत भी कहीं न कहीं उनके बड़े साढ़ू से जुड़ी है, वे तो सामने बस एक चेहरा हैं। अरूण सिंह को राजनीति में लाने का श्रेय भी राजनाथ सिंह को ही जाता है। राजनाथ जब पहली दफा भाजपाध्यक्ष बने तो उन्होंने अपने इस साढ़ू भाई को पार्टी के ‘इन्वेस्टर सेल’ का कन्वेनर नियुक्त कर दिया था। जब बाद में पार्टी की कमान राजनाथ के हाथों से गडकरी के हाथों में आई तो गडकरी ने भी राजनाथ का मान रखने के लिए ‘इन्वेस्टर सेल’ में ही अरूण सिंह की कुर्सी बहाल रखी। इस दफे के 2012 यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान राजनाथ सिंह ने जो अपनी चुनावी यात्रा निकाली इसके लिए उन्होंने अरूण सिंह को यूपी के ब्रज क्षेत्र का प्रमुख नियुक्त किया था। समझा जाता है कि राजनीतिक काम-काज को आगे बढ़ाने के लिए संसाधन जुटाने में अरूण सिंह का कोई सानी नहीं है। कम से कम उन्होंने राजनाथ की इस चुनावी यात्रा में संसाधनों में कोई कमी नहीं आने दी। इसके बाद जब गडकरी अपना अध्यक्षीय कार्यकाल पूरा कर रहे थे उस मुहाने पर अरूण सिंह ने नई दिल्ली के ‘कांस्टिट्यूशन क्लब’ में एक बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया और इस कार्यक्रम में उन्होंने चीफ गेस्ट की हैसियत से भाजपा के एक प्रमुख नेता अरूण जेटली को आमंत्रित किया, तब राजनाथ और जेटली के रिश्ते इतने मधुर नहीं थे। सो, राजनाथ को अपने इस साढ़ू की यह हरकत तब बेहद नागवार गुजरी थी पर आदत के मुताबिक वे चुप्पी साध कर बैठ गए। इसके बाद ही एक नाटकीय घटनाक्रम में पार्टी की बागडोर गडकरी के हाथों से राजनाथ को शिफ्ट हो गई। अरूण सिंह ने इस मौके का बेहतर फायदा उठाया और वे चंदन मित्रा के संग ओडिशा के सह प्रभारी बन बैठे। राजनैतिक तौर पर यह उनकी अब तक की सबसे लंबी छलांग थी। इस बीच अरूण सिंह और अरूण जेटली की दोस्ती भी गहराती रही। और जब राजनाथ की बतौर राष्टï्रीय अध्यक्ष दुबारा ताजपोशी हुई तो जेटली व राजनाथ के संबंधों को सामान्य बनाने की दिशा में अरूण सिंह ने अपनी ओर से काफी प्रयास किए।
शुरूआत में अरूण सिंह ही जेटली व राजनाथ के दरम्यान संवादी की भूमिका अदा करते थे, पर बाद में दोनों नेताओं के रिश्ते सामान्य होते चले गए। अरूण सिंह से संबंध बनाए रखना एक तरह से जेटली की राजनैतिक मजबूरी भी बन गई थी क्योंकि वे राजनाथ के सबसे करीबी व्यक्ति और उनके राजनैतिक सलाहकार सुधांशु त्रिवेदी को फूटी आंख पसंद नहीं करते। लिहाज़ा उन्हें अपने पार्टी अध्यक्ष से संवाद स्थापित रखने के लिए यूं ही एक लिंक मैन चाहिए था। पर मथुरा को लेकर अरूण सिंह की सियासी डगर इतनी आसान नहीं, क्योंकि स्वयं नरेंद्र मोदी मथुरा लोकसभा क्षेत्र से भाजपा के टिकट पर हेमा मालिनी को उतारना चाहते हैं। मोदी का मानना है कि मथुरा जाट और ब्राह्मïण बाहुल्य सीट है, हेमा स्वयं ब्राह्मïण हैं और उनके पति धर्मेंद्र एक जट सिख, सो इन दोनों जातियों का वोट हेमा का थोक भाव में मिल सकते हैं। मथुरा में मोदी अपनी एक बड़ी राजनीतिक रैली भी करना चाहते हैं। वहीं भाजपा के मीडिया सेल के हेड श्रीकांत शर्मा जो स्वयं मथुरा से हैं और अरूण जेटली के बेहद करीबियों में शुमार होते हैं, वे भी मथुरा लोकसभा सीट से चुनाव लडऩे के इच्छुक हैं। वहीं संघ नेतृत्व देवेन्द्र शर्मा की उम्मीदवारी को लेकर गंभीर है। 2012 के यूपी विधानसभा चुनाव में शर्मा मथुरा विधानसभा सीट से बेहद मामूली वोटों के अंतर से हार गए थे। संघ के प्रमुख नेता डा. कृष्ण गोपाल भी मथुरा के ही बाशिंदे हैं, सो यहां के भाजपा उम्मीदवार को लेकर उनकी बेहद साफ प्राथमिकताएं हैं, एक तो उम्मीदवार ब्राह्मïण हो, लोकल हो और संघ की पृष्ठïभूमि वाला हो। जाहिर है अरूण सिंह इस खांचे में फिट नहीं आते हैं।

 
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  1. Rudra Sharma Says:

    Jats are the dominant caste in Mathura and the largest number of M.P.’s in the district have been jats. However i would like to point out that next to the Jats it has only been the thakurs who have represented the constituency in the Lok Sabha that too ones with strong local credentials & popularity it was Manvendra Singh who won thrice beating Prominent jats like Smt. Gayatri Devi (W/o Late Ch. Charan singh ji). K. Natwar Singh (Ex Foreign Minister) & Dr. Smt. Gyanvati (D/o Late Ch. Charan Singh ji). He was defeated by Jayant Chaudhary in 2009 Polls. Coming back to the topic none of the above mentioned candidates in the report are fit enough to take on Jayant as they hardly hold any prominence in Mathura. Manvendra Singh though a Congressman if contests on a BJP ticket can be a strong opponent for Jayant as he holds a clean reputation and will be a better candidate than people like Arun Singh who does not hail from Mathura. A local with proven credentials will be a better choice. No offences to Sh. Rajnath Singh ji but he does not posses the same popularity amongst the Thakurs which the Late Chaudhary sahab does amongst the Jats. Therefore by concluding that Sh. Arun singh relative of Sh. Rajnath Singh can be a decisive opponent against the likes of Jayant shall be a mistake as the former is hardly known in Mathura and is a outsider. Except for Jayant who in 2009 rode on the youth wave and an alliance with the BJP no outsider some of the prominent names i have mentioned above has won Mathura before and he too will be facing a lot of heat and will not find it easy to retain Mathura provided the BJP fields a strong candidate as it is the only party which will challenge Jayant.

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