प्रभु कुछ तो करो

February 04 2017


केंद्रीय रेल मंत्री सुरेश प्रभु की गिनती मोदी सरकार के सबसे काबिल मंत्रियों में होती है पर अगर उनके मंत्रालय के परफॉरमेंस को आधार माना जाए तो वे कहीं चूकते हुए नज़र आ रहे हैं। यह पहली बार है जब रेल मंत्रालय का बजट भी वित्त मंत्री अरुण जेटली ने ही इसे आम बजट के साथ पटल पर रखा, पर रेल मंत्रालय के लिहाज से देखें तो पिछला वित्तीय वर्ष उसके लिए उतना शुभदायी नहीं रहा। सुरेश प्रभु के बारे में माना जा रहा है कि वे योग्य भी हैं और मेहनती भी, पर वे अपने विभाग के अधिकारियों के बजाए फ्री-लांस इकॉनोमिस्ट और कॉरपोरेट लीडर्स की ज्यादा सुनते हैं। चुनांचे पिछले वर्ष प्रभु की गाड़ी उस कदर सरपट पटरी पर नहीं दौड़ पाई, कहीं न कहीं इसे रेल दुर्घटनाओं के साल के तौर पर याद किया जाता रहेगा। वहीं पैसेंजर ट्रैफिक में रेल को तकरीबन 25 हजार करोड़ का घाटा उठाना पड़ा, पहली बार माल ढुलाई के रेवन्यू में गिरावट दर्ज की गई, माल ढुलाई के परिचालन से रेलवे को 45 हजार करोड़ का फायदा दर्ज हुआ, मुनाफे का यह ग्रोथ पिछली बार की तुलना में कम है। प्रभु सोशल मीडिया पर खासे एक्टिव रहते हैं, जो उन्हें देश के युवाओं के बीच लोकप्रिय बना रहा है। प्रभु से मिलना-जुलना भी आसान है, वे सबकी सुनते हैं पर अब बारी कुछ करने की है।

 
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