पीएम के विदेशी दौरे से मीडिया नदारद

July 26 2014


पूरे चुनावी अभियान में मोदी राग अलापने वाले मीडिया में खलबली मची है, मोदी की दो विदेश यात्राएं संपन्न हो गई, पर आम तौर पर प्रधानमंत्री के विशेष विमान ए-वन में सफर करने वाले कोई 30 पत्रकारों के दल को उनके साथ जाने का मौका नहीं मिल पाया, सिर्फ समाचार एजेंसी पीटीआई, दूरदर्शन और एएनआई के कैमरा मैन को प्रधानमंत्री अपने साथ लेकर गए। प्रधानमंत्री के हालिया ब्रिक्स (ब्राजिल)दौरे में भी प्रधानमंत्री अपने साथ एक छोटा दल लेकर गए थे, जिसमें अजीत डोवाल, विक्रम मिसरी, जगदीश ठक्कर, पीएमओ और वित्त मंत्रालय के संयुक्त सचिव, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैय्यद अकबरूद्दीन और एक डॉक्टर साथ गए थे। अभी पिछले दिनों पीएमओ कवर करने वाले एक पत्रकार के समक्ष पीएम ने इस बाबत अपना नजरिया रखा, मोदी ने साफ किया कि उनके मन में भी मीडिया को लेकर कोई दुर्भावना नहीं है, उन्होंने इसका गहन अध्ययन किया और पाया कि पत्रकारों को साथ विदेश लेकर जाने की परंपरा लाल बहादुर शास्त्री जी के जमाने में शुरू हुई, यहां तक कि ‘मीडिया फ्रेंडली’ माने जाने वाले नेहरू भी अपने साथ पत्रकारों को विदेशी दौरे पर नहीं ले जाते थे। मोदी का मानना है कि शास्त्री जी के जमाने में उनका यह फैसला उचित था क्योंकि तब ये संचार माध्यम इतने विकसित नहीं थे,पर आज जमाना बदल गया है, यह टि्वटर, व्हॉट्सअप, गुगल प्लस, ई-मेल और फेसबुक का जमाना है। मोदी और पीएमओ अपनी बात कहने के लिए प्रचुर रूप से टि्वटर हेंडिल का सहारा लेते हैं। रही बात प्रेस-कांफ्रेंस की तो पीएम ने स्पष्ट कर दिया है कि विदेशी दौरे पर जाने से पहले और वहां से लौटने के बाद वे दिल्ली में ही एक प्रेस-कांफ्रेंस कर दिया करेंगे। वैसे भी प्रधानमंत्री के साथ जाने वाले मीडिया दल को तीसरे नंबर पर रखा जाता है, पहले पर अधिकारी गण, दूसरे पर साथ जा रहे प्रतिनिधिमंडल और अंत में मीडिया, मीडिया वालों को विदेश में एक अलग होटल में ठहराया जाता है। और प्रधानमंत्री के साथ कौन जाएगा इसका चुनाव भी आम तौर पर पीएमओ और विदेश मंत्रालय के अधिकारी करते हैं, इसमें पीएम की निजी पसंद-नापसंद का भी ध्यान रखा जाता है, यही वजह है कि अटल जी के जमाने में संघ से जुड़े प्रकाशनों का जिम्मा संभालने वाले तरुण विजय, कंचन गुप्ता और शेषाद्रिचारी सदैव उनके साथ जाते रहे थे। सो, मोदी चाहते हैं कि मीडिया में कुछ खास लोगों को उपकृत करने की परंपराओं पर लगाम कसा जाए। और फिर भी कोई मीडिया समूह प्रधानमंत्री के विदेशी दौरे को विशेष रूप से कवर करना चाहता है तो वह अपने खर्चे पर अपना रिपोर्टर या कैमरा मैन संबंधित देश में भेज सकता है, जहां पीएमओ उसे संबंधित तमाम सूचनाएं मुहैया करा देगा।

 
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