मुकुल-ममता फिर पास आए

December 06 2015


इन दिनों तृणमूल कांग्रेस के बागी सांसद मुकुल राय सेंट्रल हॉल में तृणमूल के अपने पुराने मित्र सांसदों की भीड़ में घिरे दिखते हैं, हंस-हंस कर बतियाते, बेबात पर ठहाके लगाते, न पुराने वाले मुकुल रहे, न साथी सांसदों से उनकी पुरानी वाली दोस्ती, पर जब ऐसे में एक नई मित्रता की फसल लहलहा रही हो तो बात की तह तक पहुंचना जरूरी है। दीदी से जुड़े विश्वस्त सूत्र बताते हैं कि संभवतः मुकुल और दीदी में संधि हो गई है, पुराने वैर भुलाने की तैयारी है, दीदी ने भी अपने पार्टी के सांसदों को कथित तौर पर यह निर्देश जारी किए हैं कि वे न सिर्फ मुकुल के निरंतर संपर्क में रहें, अपितु उन पर पूरी नज़र भी रखें कि वे भाजपा वालों से ज्यादा घुले-मिले नहीं। सूत्र बताते हैं कि पूर्व में भाजपा के कुछ सीनियर नेताओं ने मुकुल से बड़े-बड़े वायदे किए थे, उनसे यह भी कहा गया था कि बंगाल के आने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा उन्हें ठीक वैसे ही तैयार करेगी, जैसा पार्टी ने बिहार में नीतीश को तैयार किया था। और अगर उनका यह गठबंधन चुनाव में विजयी रहा तो मुकुल वेस्ट बंगाल के अगले मुख्यमंत्री होंगे। पर बिहार की करारी हार के बाद इन दिनों कमल थोड़ा कुम्हलाया हुआ है, भाजपा नेताओं के कंधे तनिक झुके हुए हैं और पुराने वादे उन्हें याद भी नहीं रह गए हैं, चुनांचे ऐसे में मुकुल राय ने भी पाला बदलने में ही भलाई समझी।

 
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