अपनों से नाराज़ मोदी

October 12 2015


बिहार की एक चुनावी रैली के बाद जब नरेंद्र मोदी अपने चापर की ओर बढ़ रहे थे, तो संघ के एक पुराने स्वयंसेवक और भाजपा के एक जिलाध्यक्ष ने मोदी की ओर कागज बढ़ाया, मोदी ने लपक कर वह कागज लिया और उसे फोल्ड कर अपनी जेब में रख लिया। चापर के आसमान में उड़ते ही मोदी ने जेब से वह पुर्जा निकाल उसे पढ़ना शुरू किया, उस पत्र का मज़मून कुछ यूं था-’मान्यवर, देश के प्रधानमंत्री पद पर आसीन होने के बावजूद आपको बिहार चुनाव की किस हद तक चिंता है, और आप भाजपा की जीत यहां सुनिश्चित करने के लिए खून-पसीना एक कर रहे हैं। वहीं बिहार भाजपा में ऐसे शीर्ष नेताओं की कमी नहीं जो इन चुनावों में सिर्फ पैसे की बंदरबांट में लगे हैं, यहां तक कि इनमें से कईयों ने तो पार्टी टिकटों की बोली लगा दी है, भाजपा के टिकट का रेट इस दफे के चुनाव में 2-3 करोड़ तक पहुंच गया। पार्टी के समर्पित कार्यकत्ताओं की अनदेखी हुई है और कई बिजनेसमैन को पार्टी ने विभिन्न क्षेत्रों से अपना उम्मीदवार बनाया है।’ लगता है यह बात प्रधानमंत्री को गहरे तक चुभ गई। और जब अगली चुनावी सभा में स्टेज पर पहुंचे तो उनका चेहरा तिलमिला रहा था, सुशील मोदी ने जब मंच पर उनका झुक कर अभिवादन किया तो प्रधानमंत्री के चेहरे से तब एक तरह की बेरूखी साफ तौर पर झलक रही थी, हां, इसके बाद उन्होंने वहां के स्थानीय भाजपा प्रत्याशी का गर्मजोशी से हाथ-थपथपा कर अभिनंदन किया।

 
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