बड़ों से पंगा मारिया को महंगा पड़ा

September 13 2015


एक बड़ा सवाल जो नैतिकता व षुचिता की दुहाई देने वाली भाजपा की मंषाओं पर कदमताल कर रहा है कि आखिरकार ऐसी क्या मजबूरी आ गई कि मुबंई के तत्कालीन पुलिस कमिष्नर राकेष मारिया को इतनी अफरा-तफरी में उन्हें पदोन्नत कर उनका तबादला बतौर होमगाडर््स डीजी कर दिया गया। और वह सब वैसे वक्त में हुआ जब मारिया हाई-प्रोफाइल ‘षीना मर्डर कांड’ की बस तह में पहुंचने ही वाले थे। महाराश्ट्र के युवा मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस को भी क्या कहीं ‘ऊपर’ से आदेष था कि उन्होंने जापान रवाना होने से पहले रात के कोई ढाई बजे मारिया ेकी फाईल पर दस्तखत कर दिए। उच्च पदस्थ सूत्रों के हवाले से खबर मिल रही है कि मारिया पीटर मुखर्जिया से कई एंगिल से पूछताछ कर रहे थे और इसमें एक मामला मनी लांड्रिंग यानी हवाला कारोबार से भी जुड़ा था। सूत्र बताते हैं कि इस मनी लांड्रिग में देष के एक षीर्शस्थ उद्योगपति की भूमिका षक के दायरे में आ गई थी। इसके अलावा बांबे क्लब से जुड़े एक-दो अन्य उद्योगपतियों के नाम भी सामने आ रहे थे। इस मामले में कम से कम दो सीनियर कैबिनेट मंत्रियों की भूमिका को भी नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता है। इनमें से एक केंद्रीय मंत्री की बेटी को खुलकर पीटर के समर्थन में लाबिंग करते देखा गया। यानी पहलू में बड़ा षोर था मोदी राज का, पर यह भी तो कतरा-ए-खून ही निकला।

 
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