अपनी रौ में आते कृष्ण गोपाल

April 11 2016


पिछले कुछ दिनों में भाजपा के संगठन प्रभारी कृष्ण गोपाल की न केवल पार्टी मामलों में सक्रियता बढ़ी है, बल्कि उन्होंने अपने पूर्ववर्त्ती सुरेश सोनी के साए से भी भगवा पार्टी को बाहर निकालने का प्रयास किया है। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति इरानी के साथ मिल कर उन्होंने संघ के शिक्षा -एजेंडे को भी आगे बढ़ाने का काम किया है। अपने पूर्ववर्त्ती सोनी की तरह ही कृष्ण गोपाल को लिखने-पढ़ने का खासा शौक है, हालांकि सोनी द्वारा लिखित पुस्तकों की लिस्ट किंचित लंबी है, पर कृष्ण गोपाल के खाते में भी तीन महत्त्वपूर्ण पुस्तकें-वेदों में नारियां, भारत की साधु परंपरा और प्रयाग राज है। वहीं संघ के एकल विद्यालय की संकल्पना को भी सिरे चढ़ाने में उनकी खासी दिलचस्पी रही है। एकल विद्यालयों की वजह से संघ ने छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और नार्थ ईष्ट के राज्यों खास कर असम में जमीनी स्तर पर अपनी पकड़ बनाई है। भाजपा का संगठन प्रभारी नियुक्त होने से पूर्व कृष्ण गोपाल संघ के पूर्वोत्तर के ही प्रभारी थे, इन उत्तर पूर्व राज्यों में वे संघ के विस्तार और प्रचार-प्रसार में जुटे थे। एकल विद्यालय की सबसे खास बात यह है कि एक अकेला अध्यापक बच्चों को पढ़ाने के साथ-साथ उस क्षेत्र विशेष में स्वच्छता और स्वास्थ्य कार्यों में भी दिलचस्पी लेता है। समझा जाता है कि इस दफे के असम चुनावों में भाजपा को संघ द्वारा संचालित इन एकल विद्यालयों से भी काफी लाभ मिल रहा है।

 
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