क्या संकट में है महाराष्ट्र सरकार?

April 07 2021


जैसे ही महाराष्ट्र की उद्धव सरकार ने यह निर्णय लिया कि संघ भूमि नागपुर में 15 से 21 मार्च तक लॉकडाउन लगाया जा सकता है। संघ के ललाट पर चिंताओं की लकीरें उभर आईं, क्योंकि 19 मार्च से बेंगलुरू में संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा आहूत है जिसमें हिस्सा लेने के लिए संघ के कई वरिष्ठ नेताओं और स्वयंसेवकों को वहां के लिए नागपुर से प्रस्थान करना है। सूत्र बताते हैं कि जब इस बात की जानकारी उद्धव ठाकरे को हुई तो उन्होंने इस बारे में संज्ञान लेते हुए नागपुर संघ मुख्यालय फोन कर संघ के शीर्ष नेताओं को आश्वस्त किया कि उनकी आवाजाही में किसी प्रकार की दिक्कत नहीं आएगी, उनकी सरकार संघ नेताओं के आने-जाने को सुगम बनाने का पूरा ध्यान रखेगी। भले ही भाजपा के संग उद्धव और शिवसेना की रार दिखे पर संघ से उनके बेहद मधुर संबंध हैं। अगले साल बृहन मुंबई नगरपालिका के चुनाव भी होने हैं जहां शिवसेना पिछले 21 वर्षों से काबिज है और बीएमसी से ही शिवसेना की पूरी राजनीति को खाद-पानी मिलता है। सो, उद्धव भी कहीं गहरे इन प्रयासों में जुटे हैं कि आने वाले दिनों में उनका भाजपा के साथ समझौता हो जाए, पिछले दिनों विधानसभा में बोलते हुए उद्धव ने मजाक-मजाक में भाजपा बेंच की ओर उन्मुख होकर कह भी दिया था कि ’हम पहले भी आपके साथ सरकार में थे, आगे भी हो सकते हैं।’ सो इस शुक्रवार को जब तड़के सुबह मुंबई भाजपा अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल के साथ प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस बगैर किसी तय शिड्युल के अचानक संघ भूमि नागपुर पहुंच गए, और इन दोनों नेताओं की संघ प्रमुख मोहन भागवत के साथ बंद कमरे में लंबी मीटिंग हुई तो कयासों के पर लग गए कि बंगाल चुनाव के बाद महाराष्ट्र में ‘अघाड़ी विकास पार्टी’ सरकार की विदाई हो सकती है और राज्य में नए सियासी समीकरण बन सकते हैं।

 
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