अगर राजनीति एक फुटबॉल होती |
May 23 2016 |
लंदन के एक प्रमुख अखबार के दिल्ली ब्यूरो प्रमुख जिन्हें पिछले दिनों राहुल गांधी से मिलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। पहली नज़र में राहुल उन्हें शांत स्वभाव के बेहतरीन इंसान नज़र आए, जिन्होंने इस राजनैतिक संवाददाता से सिवा राजनीति के हर मुद्दे पर बड़ी बेतकल्तुफी से बात की। जैसे कि यूरोपियन फुटबॉल लीग में एक अनजाने से लायकेस्टर क्लब ने कैसे मैनचेस्टर इलेवन को पटखनी दे दी? राहुल को इन इंग्लिश क्लबों का सारा इतिहास-भूगोल मालूम था, उन्होंने यह बताने में भी गुरेज नहीं किया कि लंदन में अपनी पढ़ाई के दिनों में वे इन क्लब मैचों के दीवाने थे। राहुल ने भारत में फुटबॉल, क्लब और इसकी राजनीति को लेकर भी अपने बेबाक विचार प्रकट किए। इसके बाद बारी आई राजनीति की, तो यह विदेशी संवाददाता जानना चाहता था कि हालिया दिनों में जिस तरह से कांग्रेस का ग्राफ बेतरह गिरा है और वह मात्र भारत के कुछ राज्यों में ही सिमट कर रह गई है, उसको दोबारा जिंदा करने के लिए राहुल के पास क्या रोड मैप है, पार्लियामेंट व सड़कों पर कांग्रेस के प्रदर्शन को लेकर वे कितने आषावान हैं? तो राहुल का दिल उचाट हो गया, उन्होंने उठते हुए कहा-‘आज के लिए बस इतना ही, आगे फिर कभी बात होगी।’ |
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