मैं अपनी ‘बेस्ट फ्रेंड’ से कर रहा ह् शादी-फिरोज वरुण गांधी

March 05 2011


वरुण गांधी से त्रिदीब रमण की खास बातचीत-
नई दिल्ली, 05 माच

किसी भी मीडियाकर्मी से अपनी शादी, अपना प्यार और अपने परिवार के बारे में वरुण गांधी ने पहली बार एक लंबी अनौपचारिक बातचीत की
नई दिल्ली का 14 अशोक रोड, शाम के साढ़े छह बजे हैं, आम तौर पर मुलाकातियों की धकमपेल से तरबतर रहने वाले बाहरी कमरे की लाइट तक नहीं जल रही। कमरे के साथ वाले दफ्तर में वरुण के निजी सचिव आनंद चौधरी हमेशा की तरह आज भी फोन पर लगे हैं। शादी की तैयारियों को अंतिम रूप दे रहे हैं, शनिवार को तीन छोटे चार्टर्ड विमान से गांधी-परिवार के कुछ खास अतिथि बनारस के लिए उड़ान भरेंगे। हम और आगे बढ़ते हैं वरुण के कमरे की ओर, हर तरफ पसरा है एक असहज सा नीरव सन्नाटा, वरुण सामने हैं, अभी-अभी नहा कर आए हैं, पर पहले-सी गर्मजोशी नहीं है, मन व्यथित है, आंखें उदास, रविवार को ही दूल्हे का सेहरा सजना है, पर नानी के ना होने का गम उन्हें कहीं अंदर तक साल रहा है, तब तक खाना आ जाता है, शाम में वे इतनी ही जल्दी खा लेते हैं, मूंग की दाल, ब्रोकली-बेबीकॉर्न की उबली हुई सब्जियां,…वे आग्रहपूर्वक कहते हैं आप भी खाइए न! और उसी दरम्यान बातचीत का क्रम भी शुरू हो जाता है।

जब यामिनी से मिला
जब एक कॉमन फ्रेंड के मार्फत मैं पहली बार यामिनी से मिला तो वह कॉलेज में पढ़ रही थी, दिल्ली के सेंट स्टीफेंस कॉलेज में। बहुत साधारण-सी एक लड़की, इतने असाधारण रूप से किसी को लुभा सकती है मैंने कभी सोचा नहीं था। एक नेक, सीधी, सच्ची लड़की, जो दिखावे में भरोसा नहीं करती है, दुनिया की भौतिकता के पीछे भागने में उसका विश्वास नहीं है, शुध्द शाकाहारी। ठीक मेरी तरह।

…और मुझे प्यार हो गया
यह बात कोई सन् 2004 की है, यामिनी से मिलना-जुलना लगा हुआ था, फोन पर भी बातें हो जाती थी, धीरे-धीरे मुझे लगने लगा मेरे दिल में उसके लिए कुछ खास है। एक दिन वह भी आया जब मुझे लगा कि मैं किसी के प्यार में हूं। सबसे पहले मैंने अपनी नानी को अपने दिल की बात बताई तो उन्होंने कहा कि दिल की बात दिल में रखने से अच्छा है कि वह सामने वाले से कह दिया जाए।

प्यार का इजहार
मैंने अपने दिल को मजबूत किया, खुद को तैयार किया और फूलों का एक सुंदर-सा गुलदस्ता लेकर यामिनी से मिलने निकल पड़ा। उसने मेरे हाथों से फूलों का वह गुलदस्ता ले तो लिया, पर कहा कि ‘एक बार जो फूल डालियों से टूट गए फिर उनमें जीवन कहां रह जाता है, तो हम एक नए रिश्ते की शुरूआत मृत फूलों से क्यों करें।’ मैं सोचता ही रह गया, मुझे लगा कि इस लड़की में कुछ बात है, जीवन को देखने का एक अलग नजरिया है। लिहाजा अगले ही दिन मैं आम का एक छोटा-सा पौधा लेकर उसके घर पहुंच गया। फिर हम दोनों ने मिलकर उस पौधे को उसके घर के बगीचे में लगाया। आज वह नन्हा-सा पौधा एक भरा-पूरा पेड़ बन चुका है, इस मौसम में वह मंजरों से सजा हुआ है, ठीक हमारे रिश्तों की तरह, इसमें प्यार के फूल निकल आए हैं।

जब मैंने उसे प्रपोज किया
हमारे रिश्ते को सात साल पूरे होने को आए थे, वह अक्सर मेरे घर पर भी आती-जाती थी, मेरी मां, नानी और मासी को खूब भाने लगी थी वह। जैसे हमारे घर की ही एक सदस्य बन गई थी। मुझे उसमें सबसे अच्छा लगता था कि उसकी कोई डिमांड नहीं होती थी, जब भी वह मेरे आसपास होती थी मुझे बड़ा ही आत्मबल मिलता था। मेरे अच्छे और बुरे दिनों में वह सदा एक सी रही, न मैं उसके लिए बदला और न ही मेरे प्रति उसका प्यार बदला। मैंने अंतत: अपनी मां से जानना चाहा कि ‘यामिनी उन्हें कैसी लगती है?’ बेहद ‘संस्कारवान’। मैंने अपनी मां की आंखों में एक अनोखी चमक देखी। मैंने पूछा-‘क्या अपनी बहु के रूप में आप उसे स्वीकार करेंगी?’ भाव-विह्वल हो गई मेरी मां, मैंने उनकी आंखों में खुशी के आंसू देखे। मैंने उसी पल तय कर लिया कि बस अभी जाकर यामिनी को प्रपोज करना है और मैंने वही किया। आज मैं इस बात को लेकर सबसे ज्यादा खुश हूं कि मैं अपनी बेस्ट फ्रेंड से शादी कर रहा हूं। हम दोनों के मन में एक-दूसरे के प्रति बहुत सम्मान का भाव है।

बहुत अच्छी कुक है वह
क्या खूब खाना बनाती है, रसोई में रहना उसे बेहद पसंद है। उसके हाथों का खा-खाकर ही इन सात-सालों में मैं इतना मोटा हो गया। अब जाकर शादी के ऐन मौके पर अपना वजन कुछ कम कर पाया हूं। मुझे यामिनी के हाथों की अरहर की दाल, बैंगन कार् भुत्ता, खट्टे-मीठे आलू और बैंगन का रायता बेहद पसंद है। वैसे तो यामिनी को आऊटिंग का बहुत शौक नहीं पर ताज पैलेस होटल का इंडियन रेस्तरां, ‘वर्थ’, इम्पीरियल का ‘स्पाइस रूट’ और अशोका का ‘मशराबिया’ हम दोनों को बहुत पसंद है। पर हमें घर का बना खाना ज्यादा भाता है।

राहुल व प्रियंका नहीं जा पा रहे बनारस
अच्छा लगता अगर भाई राहुल और बड़ी बहन प्रियंका भी मेरी शादी में सम्मिलित हो पाते। राहुल जी से फोन पर बातें हुई, वे बनारस जाना चाहते थे पर इसीलिए नहीं जा पा रहे कि उनके दाहिने पैर में हेयरलाइन फैक्चर आ गया है, बनारस से वापिस लौटकर उनसे मिलने जाऊंगा। प्रियंका जी बनारस जाने के लिए खासी उत्साहित थीं, पर ऐन वक्त उन्हें वायरल फीवर हो गया है, सो वह भी नहीं जा पाएंगी। पर बाद में जब वह स्वस्थ हो जाएंगी तो हम नव दंपत्ति के लिए अपने फॉर्म हाउस पर एक डिनर देंगी। अपनी ताई सोनिया जी को आमंत्रित करने मैं खुद गया था, उन्होंने मुझे बहुत स्नेह दिया। मेरी नानी के दुखद निधन की वजह से हमें दिल्ली में 8 तारीख को आयोजित होने वाला अपने शादी का रिसेप्शन कैंसिल करना पड़ा वरना उसमें जरूर आतीं वह। मैं जानता हूं यह हमारा परिवार है और मैं अपने परिवार का उतना ही लाडला और स्पेशल हूं।

नहीं होगा हरि जी का बांसुरी वादन
मेरी शादी के मौके पर प्रख्यात बांसुरी वादक पंडित हरिप्रसाद चौरसिया जी के बांसुरी वादन का प्रोग्राम था, पर नानी के निधन के चलते उसे कैंसिल करना पड़ा। यह प्रोग्राम हमारे बनारस के ताज गैंजेस होटल में ही होना था, दुख है कि हमारे परिवार के लोग पंडित जी के अनोखे संगीत के आस्वादन से वंचित रह गए। इसके अलावा हमारा शाम को गंगा आरती देखने का भी प्रोग्राम था, पर अब हम वहां भी नहीं जा रहे। हम रविवार को शादी की सुबह ही शादी की रस्म खत्म होते ही वापिस दिल्ली लौट आएंगे। पर हम बनारस में मां आनंदमयी आश्रम अवश्य जाएंगे, उन्होंने मेरी दादी को मेरे पिता और मां की शादी के लिए राजी किया था।

शंकराचार्य जी के आश्रम में होगी शादी
6 तारीख यानी रविवार की सुबह 7.12 मिनट पर शादी का मर्ुहुत्त निकला है। स्वयं शंकराचार्य जी हमारा विवाह करवाएंगे। यामिनी मेरी मां की दी हुई वही साड़ी पहनेंगी जो मेरी मां ने अपनी शादी के वक्त पहनी थी। यह साड़ी मेरी नानी ने तब एक लाख रुपयों में खरीदी थी। मैं रोहित बल का डिजाइन किया हुआ क्रीम-कलर का धोतीर्-कुत्ता पहनूंगा जिसका बार्डर गोल्डन कलर का है, उस पर एक अंगवस्त्रम् भी होगा (फिर वे उठकर यह कपड़े दिखाते हैं) मेरी मां पिंक कलर की साड़ी पहनेंगी। बर्मिस रुबी की वह ज्वैलरी भी पहनेंगी जो उन्होंने अपनी शादी में पहनी थी।

जो लोग शादी में शामिल होंगे
यहां दिल्ली से कुल 15 लोग जा रहे हैं जिसमें मैं-यामिनी, मेरी मां, मेरी मासी, मासी के दो बच्चे, मेरे छुटपन के दो दोस्त, यामिनी की मां, मौसी और उनकी मौसरी बहन। पंडित नेहरू के कजिन अशोक और मालती नेहरू। इसके अलावा जो लोग बनारस पहुंचेंगे, वे हैं-राजा साहब बांसी विजय प्रताप सिंह, राजा साहब साहनपुर (बिजनौर), राजा साहब मुरादाबाद चंद्र विजय सिंह, काशी नरेश, बनारस के मेयर कौशलेंद्र जी, राजा साहब मनकापुर, आर.पी.एन.सिंह जी जो यामिनी की मां के कजिन भी हैं।

अपनी नानी के बारे में
वह मेरे लिए सब कुछ थीं, मां से भी कहीं बढ़कर। मेरी मां मेरे जन्म के बाद से ही राजनैतिक और सामाजिक कार्यों में व्यस्त हो गईं। मुझे मेरा बचपन, मां का मातृत्व सब नानी से ही मिला। मुझे खुशी है कि उनके जीवन के आखिरी दिनों में मैंने उनके साथ ज्यादा से ज्यादा वक्त बिताया, उन्हें फ्लोरेंस देखने का मन था मैं उनके साथ छुट्टियां बिताने इटली गया। 28 फरवरी को जब उन्होंने आखिरी सांसें ली एम्स में, तो उनका सिर मेरी गोद में था, उनके हाथों को मैंने अपने हाथों में कसकर पकड़ रखा था। मैं अपनी जिंदगी से उन्हें कभी जाने नहीं देना चाहता था, पर ईश्वर को यही मंजूर था, पर सशरीर न रहकर भी वह सदैव मेरे आसपास ही रहेंगी। मैं जानता हूं, मेरी शक्ति बनकर, मुझे भरोसा देती रहेंगी। मैंने हर पल उनसे बस यही कहा कि मैं उन्हें कितना चाहता हूं…अब भी उनसे यही कहना चाहता हूं कि मैं उन्हें कितना चाहता हूं… जब वह स्वर्ग में कहीं से मुझे देख रही होंगी।

 
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