निजी अस्पतालों की मनमानी पर कैसे लगे लगाम

July 12 2020


दिल्ली में जिस रफ्तार से कोरोना के केस बढ़ रहे हैं, मरीजों के लिए अस्पतालों में बेड की मारम-मार मच गई है। दिल्ली सरकार के पास इस बात की पुख्ता जानकारी थी कि जो प्राइवेट अस्पताल कोरोना के इलाज के लिए अधिकृत हैं, वे इससे अपने पैसा बनाने का उपक्रम साध रहे हैं। वे ज्यादा से ज्यादा मरीज को अपने प्राइवेट वार्ड में शिफ्ट कर रहे हैं और सरकार द्वारा पूछे जाने पर बेड की गलत संख्या बताते हैं, यहां तक कि वेंटिलेटर की संख्या बताने में भी वे गड़बड़ी कर रहे हैं। जब इस बात की इत्तला दिल्ली सरकार को हुई तो इस हालात से निपटने के लिए सरकार ने एक नायाब तरीका ढूंढ निकाला। ऐसे 114 प्राइवेट अस्पतालों में दिल्ली सरकार ने प्रति अस्पताल 2 नर्सिंग स्टॉफ के हिसाब से अपने लोग वहां लगा दिए और इन्हें लियाजन अफसर का नाम दिया गया। इन
लियाजन अफसर का जिम्मा इन प्राइवेट अस्पतालों में वस्तुस्थिति से वाकिफ रहना था, जिससे रिक्त बेड की सही संख्या का उन्हें इल्म रहे, वेंटिलेटर भी कितने खाली है इसकी संख्या का उन्हें पता हो। मरीजों को भर्त्ती कराने से लेकर, डिस्चार्ज के वक्त उनसे जो रकम वसूली गई है वह सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय मापदंडों के बराबर है या नहीं, इसकी पड़ताल भी यही लियाजन अफसर कर रहे हैं। इस बुधवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल और उप मुख्यमंत्री सिसौदिया ने जूम ऐप्प के माध्यम से अपने तमाम लियाजन अफसरों से बात की और उनकी दुख तकलीफों पर कान धरे।

 
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