त्रिवेंद्र पर कैसे भारी पड़े तीरथ

April 07 2021


उत्तराखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की रूखसती की इबारत तो साल भर पहले लिखी जा चुकी थी। कहते हैं राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने त्रिवेंद्र सिंह के बारे में एक झन्नाटेदार रिपोर्ट पहले ही पार्टी हाईकमान को सौंप दी थी, जिसमें साफ तौर पर इस बात का उल्लेख था कि ’अगर इन्हें नहीं बदला गया तो आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा की हार तय है।’ पर कोरोना महामारी की वजह से रावत को कोई साल भर की मुहलत मिल गई। त्रिवेंद्र की विदाई के पीछे कई कारण थे, मसलन नौकरशाही के ऊपर उनकी जरूरत से ज्यादा आत्मनिर्भरता, पार्टी कैडर की अनदेखी और भ्रष्टाचार के कई गंभीर आरोप। एक आईएएस अधिकारी राधिका झा की त्रिवेंद्र के राज में इतनी तूती बोलती थी कि उन्हें सुपर सीएम कहा जाता था। त्रिवेंद्र के उत्तराधिकारी के तौर पर धन
सिंह रावत, रमेश पोखरियाल निशंक, अजय भट्ट, अनिल बलूनी समेत कई नाम चले, पर बाजी मारी एक अनजाने से चेहरे तीरथ सिंह रावत ने, जिनका 2017 के विधानसभा चुनाव में टिकट भी काट दिया गया था पर वे 2019 के लोकसभा चुनाव में पौढ़ी से भाजपा के टिकट पर चुनाव जीत गए। तीरथ के नाम को आगे करने में डोभाल, संघ और निशंक की अहम भूमिका रही। डोभाल की नज़र कहीं पहले से पौढ़ी संसदीय सीट पर थी, जहां से वे अपने पुत्र शौर्य डोभाल को चुनाव लड़वाना चाहते हैं। कहा जा रहा है कि त्रिवेंद्र सिंह को चलता कर भाजपा शीर्ष ने अपने और कई मुख्यमंत्रियों को सीधा संदेश दिया है, ’काम करो या जाने के लिए तैयार रहो,’ यानी मनोहर लाल खट्टर, विप्लव देब, जयराम ठाकुर के ऊपर खतरे की तलवारें लटकने लगी हैं।

 
Feedback
 
Download
GossipGuru App
Now!!