’रफ्ता-रफ्ता लौ जब इन चिरागों की जा रही थी
बुझा के ये रात हमने भी सिरहानों में रख ली थी
तुम्हें भी ज़िद थी मेरे ख्वाबों में बसर करना है
हमें भी ज़िद थी कि हमें सूरज बन कर चमकना है’
सियासत में जब नेपथ्य की चुगलियां आकार पाने लगती हैं तो उससे आगे के सियासी ’रोड मैप’ की थाह लगाई जा सकती है। पिछले दिनों जब पार्लियामेंट हाऊस एनेक्स में भाजपा सांसदों का जमावड़ा जुटा तो स्वयं पीएम मोदी ने गुजरात चुनाव की अभूतपूर्व जीत का श्रेय वहां के प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटिल को देते हुए उनकी तारीफों के पुल बांध दिए। कोई पांच-सात मिनट तक पीएम पाटिल की एक रौ में तारीफ करते रहे। पाटिल वैसे तो पीएम के संसदीय क्षेत्र वाराणसी का भी जिम्मा संभाल चुके हैं। संसदीय सौंध की इस बैठक से निकलने वाले हर भाजपा सांसद को किंचित इस बात का इल्म हो चुका था कि आने वाले दिनों में पाटिल को पार्टी में कुछ बड़ा मिलने वाला है। इसके तुरंत बाद पाटिल ने दिल्ली जिमखाना क्लब में एनडीए के सहयोगी दलों और भाजपा सांसदों के लिए एक डिनर रखा। और सबसे खास बात तो यह है कि सांसदों को उन्होंने इस आग्रह के साथ डिनर में आमंत्रित किया कि ‘पीएम चाहते हैं कि ’सांसद महोदय इस डिनर में शामिल हों।’ इस डिनर में भाजपा व उसके सहयोगी दलों के सांसदों को ही आमंत्रित करने का आइडिया था। पर कहते हैं पाटिल ने अपनी राजनैतिक सूझ-बूझ का इस्तेमाल करते हुए शरद पवार जैसे नेताओं को भी इस भोज में आमंत्रित कर दिया था, यह और बात है कि पवार ने अपने स्वास्थ्य का हवाला देते हुए इस डिनर में शामिल होने से पहले ही मना कर दिया।