’कोई शक्ल पा जाती है यह नर्म मिट्टी जब कुम्हार हाथ लगाते हैं
वरना अक्सर इसे जूते रौंद कर कहीं आगे निकल जाते हैं’
क्या गांधी परिवार के नॉमिनी समझे जाने वाले मल्लिकार्जुन खड़गे को मैदान में डटे षषि थरूर से कड़ी टक्कर मिल रही है? अपने चुनाव प्रचार के सिलसिले में जब इस मंगलवार को खड़गे पटना पहुंचे तो यह देख कर हैरान रह गए कि उनके तमाम प्रचार अभियानों के बावजूद उनसे मिलने 200 डेलीगेट ही बमुश्किल वहां जमा हो पाए, जबकि बिहार में 524 डेलीगेट बनाए गए हैं, जो कांग्रेस का नया अध्यक्ष चुनने के लिए वोट करेंगे। जबकि खड़गे के पटना कार्यक्रम को लेकर चार दिनों से कैंपेन चल रहा था, खड़गे के लिए प्रमोद तिवारी एक दिन पहले से पटना में डटे हुए थे। अब डेलीगेट्स की शिकायत है कि बिहार कांग्रेस कमेटी की ओर से अधिकांश डेलीगेट को कार्ड ही जारी नहीं हुए हैं, तो वे वोट कैसे करेंगे। कई डेलीगेट को तो यह भी नहीं पता कि वे डेलीगेट्स की आधिकारिक लिस्ट में शामिल भी हैं अथवा नहीं। पर इनकी पक्की सूची खड़गे और थरूर दोनों के पास हैं क्योंकि डेलीगेट्स के पास इन दोनों के ऑफिस से समर्थन के लिए फोन आ रहे हैं। शशि थरूर तो युवा डेलीगेट्स में काफी लोकप्रिय हो रहे हैं, क्योंकि वे व्यक्तिगत तौर पर हर डेलीगेट को फोन कर उनसे अपने लिए समर्थन मांग रहे हैं। पटना में बाजी पलटती देख खड़गे ने तुरंत गांधी परिवार का कार्ड चल दिया, उन्होंने कहा कि ’उन्हें नामांकन पत्र दाखिल करने के मात्र 18 घंटे पहले आदेश हुआ था कि उन्हें चुनाव लड़ना है, क्योंकि राहुल नहीं चाहते कि गांधी परिवार का कोई सदस्य पार्टी शीर्ष पर आसीन हो।’ यानी खड़गे ने एक तरह से साफ कर दिया कि वे गांधी परिवार के कहने पर ही मैदान में उतरे हैं।