सियासत से नहीं विज्ञान से हारेगा कोरोना

May 22 2021


झारखंड की राजधानी रांची में पैदा हुए डॉ. प्रभात झा दुनिया के एक नामचीन महामारी विशेषज्ञ हैं, जो फिलहाल टोरेंटो के ‘सेंट माइकल अस्पताल’ में ‘सेंटर फॉर ग्लोबल हेल्थ रिसर्च’ के निदेशक हैं। इनका कहना है कि ’भारत में अभी कोरोना का पीक आने में और वक्त लगेगा क्योंकि यहां जनसंख्या का घनत्व बहुत ज्यादा है।’ डॉ. झा का कहना है कि ’भारत को ऐसे वक्त सियासत की नहीं विज्ञान की सुननी चाहिए, क्योंकि विज्ञान के बिना इस महामारी से निकलना आसान नहीं होगा।’ वहीं ‘ब्राउन यूनिवर्सिटी ऑफ पब्लिक हेल्थ’ के डीन डॉ. आशीष झा कहते हैं कि ’भारत में व्यापक जीनोमिक अनुक्रमण की कमी के कारण डेटा सीमित हैं, सो म्यूटेंट वेरिएंट मौजूदा संकट को और बढ़ा सकते हैं। ये महामारी विशेषज्ञ भारत की लचर स्वास्थ्य प्रणाली की ओर भी इशारा करते हैं,’ इनका कहना है कि भारत के कुल स्वास्थ्य देखभाल का खर्च सकल घरेलू उत्पाद का मात्र 3.5 फीसदी है, वहीं ब्राजील जैसे देश इस पर 9.5 प्रतिशत तो दक्षिण अफ्रीका जैसे देश भी 8.3 प्रतिशत खर्च कर रहे हैं। भारत में मात्र एक-तिहाई स्वास्थ्य देखभाल का खर्च सरकार की ओर से आता है, बाकी नागरिकों को अपनी जेब से खर्च करना पड़ता है, यानी भारत में फंडा साफ है कि जिनकी जेब में पैसा है, वे स्वास्थ्य सुविधाएं अपनी मर्जी से खरीद सकते हैं, ’आत्मनिर्भर’ जुमला को धार देने के लिए भारत ने ‘फाइजर-स्पुतनिक-मॉडर्ना’ जैसे वैक्सीन को मंजूरी देने में काफी देर लगाई, जब भारत अपने स्वदेशी वैक्सीन को 80 देषों में निर्यात कर रहा था, तब देश में प्रतिदिन केवल 0.2 प्रतिशत आबादी का ही टीकाकरण हो पा रहा था, हम अपने को विश्वगुरू बनने की होड़ में दिखा रहे हैं और कोरोना हमें आइना दिखा रहा है।

 
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