योगी ने खीरी मामले को कैसे संभाला

November 01 2021


लखीमपुर खीरी की हृदय विदारक घटना ने भाजपा नेतृत्व के समक्ष एक साथ दो मोर्चे खोल दिए, पहली चुनौती थी विपक्षी नेताओं को यहां आने से रोकना, दूसरा किसान आंदोलन को भड़कने से नियंत्रित करना। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को जैसे ही खुफिया जानकारी मिलीं कि कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी रास्ता बदल-बदल कर लखीमपुर खीरी पहुंच रही हैं तो वे फौरन हरकत में आए और मामले की नज़ाकत को भांपते हुए लखनऊ के पुलिस कंट्रोल रूम पहुंच कर खुद ही मोर्चा संभाल लिया। प्रियंका को भी कहीं शिद्दत से इस बात का इल्म था इसीलिए वह बार-बार रास्ते बदल रही थीं, गली-चौबारों से होकर गुजर रही थीं, प्रियंका ने अपनी टीम को भी अलग-अलग रास्तों से खीरी पहुंचने के निर्देश दिए थे। पर अंततः योगी ने बीच राह प्रियंका को धर ही लिया इसके बाद ही वे अपने घर को गए। वहीं दिल्ली में पीएम के निर्देश पर पीएमओ ने किसान नेता राकेश टिकैत से संपर्क साधा और उन्हें समझौते के लिए मना ही लिया। टिकैत ने पीएमओ के समक्ष कुछ शर्तें रखी जिस पर पीएम और योगी दोनों सहज़ तैयार हो गए। टिकैत ने मांग रखी कि विपक्षी नेताओं को खीरी पहुंचने से रोका न जाए इससे हालात और बिगड़ेंगे, योगी ने फौरन इस पर हामी भर दी। यानी एक तरह से टिकैत योगी के संकटमोचक बन कर उभरे। फिर टिकैत ने किसानों से कहा कि ’अब चूंकि सरकार ने उनकी मांग मान ली है सो अब खीरी में आंदोलन जारी रखने का कोई औचित्य नहीं।’ पर किसानों के बीच ही टिकैत के इस फैसले की जब खूब छीछालेदारी होने लगी तो टिकैत ने फौरन भंगिमाएं बदली, फिर कहा कि ’आरोपियों की गिरफ्तारी होनी चाहिए और मंत्री का इस्तीफा होना चाहिए।’ साथ ही टिकैत ने यह भी ऐलान कर दिया कि ’शहीद किसानों की तेरहवीं पर कम से कम 15 लाख किसान जुटेंगे।’ यानी एसयूवी से कुचल कर भी लखीमपुर की आवाजें अब हर दिशा से सुनाई देने लगी हैं।

 
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