यूपी में शाह का दखल बढ़ेगा

October 03 2021


पीएम मोदी ने काफी पहले ही अपने सबसे ज्यादा भरोसेमंद अमित शाह को यूपी की कमान सौंप दी थी। संगठन कौशल में माहिर शाह के समक्ष यह महती चुनौती है कि वे निरंतरता में दूसरी बार यूपी में भाजपा विजय का फिर से प्रकल्प तैयार करें। सूत्र बताते हैं कि शाह के लिए हर सप्ताह एक जिले के दौरे का प्रारूप भी तैयार हो चुका था, साथ ही शाह यह भी चाहते थे कि उनके खास भरोसेमंद केशव प्रसाद मौर्य को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंप दी जाए। इसके अलावा शाह यूपी के कई छोटे दलों से या तो भाजपा का चुनावी गठबंधन चाहते थे या उनकी पार्टी का विलय अपनी पार्टी में चाहते थे। पर ये हो न सका, क्योंकि यूपी के भावी राजनीति को देखने का योगी का नजरिया किंचित दीगर है। शाह ने काफी पहले से निषाद पार्टी के संजय निषाद के साथ मिल कर तय कर लिया था कि निषादों की यह पार्टी भाजपा के साथ मिल कर चुनाव लड़ेगी, इसके एवज में संजय निषाद को भाजपा अपने कोटे से एमएलसी बना देगी। पर योगी को यह आइडिया पसंद नहीं आ रहा था, सो मामला टलता रहा और एक दिन संजय निषाद का स्टिंग ऑपरेशन (चुनाव जीतने के लिए विरोधियों की हत्या की बात) भी सामने आ गया। लिहाजा, मामला और लटक गया। पर पीएम मोदी ने अपनी अमेरिकी यात्रा से पूर्व 4 एमएलसी के नाम पर अपनी सहमति की मुहर लगा दी, जिसमें संजय निषाद का नाम भी शामिल था। अब शाह संघ के शीर्ष नेताओं से मिल कर यूपी चुनावों की पूर्वबेला में इस बात को आगे बढ़ा रहे हैं कि चुनावी पोस्टर पर योगी के अलावा 5-6 प्रदेश के अन्य भाजपा नेताओं के चेहरों को भी चस्पां किया जाए यानी चुनाव सिर्फ योगी के चेहरे पर न लड़ा जाए। इस सुविचारित इरादे की काट के लिए योगी के मन में यकीनन कुछ न कुछ तो चल ही रहा होगा।

 
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