फोटो पत्रकारों पर गाज

July 17 2022


हर तस्वीर कोई न कोई कहानी बयां करती है और यह अपने पहलू में उस दौर का इतिहास भी छुपाए रखती है। पर लगता है भारत में फोटो जर्नलिज्म की समृद्ध परंपरा को किसी की बुरी नज़र लग गई है, अब अखबारों और एजेंसियों में फोटो जर्नलिस्ट की नौकरियों का टोटा पड़ने लगा है, इनकी डिमांड कम हो गई है। अगर राष्ट्रपति भवन की ही बात करें तो पिछले 5 सालों में यहां विजुअल मीडिया की एंट्री को एक तरह से अघोषित ‘ना’ ही है। एक-दो अपवादों को छोड़ कर जैसे जब कोई विदेशी राष्ट्राध्यक्ष अपने भारत दौरे के दरम्यान राष्ट्रपति भवन पधारते हैं और जब उन्हें ’गार्ड ऑफ ऑनर’ दिया जाता है या हैदराबाद हाउस में इनके सम्मान में कोई लंच या डिनर रखा जाता है तो वहां विजुअल मीडिया की एंट्री हो जाती है। वैसे भी पिछले कुछ सालों में व्यक्तिगत फोटोग्राफर रखने की परंपरा ने ज्यादा जोर मारा है। देष के राश्ट्रपति हों या प्रधानमंत्री उनके निजी फोटोग्राफर हैं, भाजपाध्यक्ष तक ने अपना निजी फोटोग्राफर रखा हुआ है। यहां तक कि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के भी अपने निजी फोटोग्राफर हैं। सभी मंत्रियों के अपने फोटोग्राफर हैं। सो अब ’केंडीड’ या ’ऑफ बीट’ फोटो कहां नज़र आती हैं। कान में फुसफुसाते हुये या हंस कर बतकहियां करने वाले फोटो के दौर भी नहीं रहे, उदयपुर में तीन दिनों तक कांग्रेस की चिंतन बैठक चली, पर फोटोग्राफरों की एंट्री वहां भी बैन रही। सो, अब महज़ वही फोटो सामने आते हैं जैसा राजनेता खुद को दिखाना चाहते हैं या दिखने का स्वांग रचते हैं।

 
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