क्या भाजपा की ’बी टीम’ है आप?

November 01 2021


यूपी में भाजपा के अपने अंदरूनी सर्वेक्षण में भी उसे बहुमत मिलता नहीं दिख रहा, सो भगवा रणनीतिकार गुजरात का दांव यूपी में आजमाना चाहते हैं। पिछले दिनों संपन्न हुए गांधी नगर के निकाय चुनावों में इसी चतुराई से भाजपा ने 44 में से 41 सीटें जीत ली है, कांग्रेस को 2 तो आम आदमी पार्टी को 1 सीट से संतोष करना पड़ा है। वहीं पिछले चुनाव में भाजपा और कांग्रेस दोनों को 16-16 बराबर सीटें मिली थी। कहते हैं इस दफे के चुनाव में भाजपा ने आम आदमी पार्टी के फलने-फूलने के लिए पूरा मैदान छोड़ दिया, नतीजन आम आदमी पार्टी ने 17 फीसदी वोटों पर कब्जा जमा लिया, कहीं न कहीं ये वोट कांग्रेस से ही कटे थे। भाजपा अब इसी रणनीति को पंजाब, उत्तराखंड और गोवा के चुनावों में भी आजमाना चाहती है, जहां भाजपा का सीधा मुकाबला कांग्रेस से है। यह भी सुना जा रहा है कि इन तीनों राज्यों में परोक्ष-अपरोक्ष तौर पर भगवा तार अंदरखाने से आप से जुड़े हैं, दावा तो यह भी किया जा रहा है कि इन राज्यों में आप की खुल कर आर्थिक मदद भी हो रही है जिससे कि वह कांग्रेस के सीने पर मूंग दल सके। उत्तर प्रदेश में भी आप ने यहां की 403 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। सिर्फ आप ही क्यों टीएमसी भी कहीं न कहीं हाथ धोकर राहुल और कांग्रेस के पीछे पड़ी है। अब गोवा का ही मामला ले लें, यहां इस बार कांग्रेस की संभावनाएं बेहतर दिख रही थीं, पर आप और तृणमूल दोनों मिल कर वहां कांग्रेस का खेल बिगाड़ने में लगी हैं। तृणमूल ने गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री लुजिन्हो फ्लेरो को अपनी पार्टी में शामिल करा लिया है। गोवा में क्रिश्चियन वोटर काफी निर्णायक भूमिका निभाते हैं। पिछले चुनाव में मनोहर पर्रिक्कर के चलते काफी क्रिश्चियन वोट भाजपा के पक्ष में आए थे, इस बार पर्रिक्कर नहीं हैं, न ही उनके बेटे को ही भाजपा कोई खास तवज्जो दे रही है, सो कांग्रेस को उम्मीद थी कि ईसाई वोट इस बार उसकी झोली में गिरेंगे, पर ममता ने यहां सारा खेल बिगाड़ रखा है, डेरेक ओ ब्रायन फ्लेरो के साथ मिल कर घूम-घूम कर ईसाई वोटरों में ममता का फूल खिला रहे हैं, यह राहुल और कांग्रेस के लिए खतरे की घंटी है।

 
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