क्या पीके और ममता में ठन गई है?

February 19 2022


सूत्र बताते हैं कि इन दिनों चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर और ममता दीदी के बीच सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है। इस बात का खुलासा पिछले दिनों कोलकाता के एक प्रमुख अंग्रेजी अखबार ’टेलिग्राफ’ ने भी किया था। शनिवार को पीके और आईपैक से तृणमूल के रिष्तों को लेकर ममता की अपने करीबी सहयोगियों के साथ एक अहम मीटिंग भी आहूत थी। वैसे तो तृणमूल का पीके की कंपनी ‘आई-पैक’ के साथ साल 2026 तक का अनुबंध है, पर नई परिस्थितियों को देखते हुए इस अनुबंध के बारे में भी पक्के तौर पर कुछ कहा नहीं जा सकता। पिछले दिनों तृणमूल के वरिष्ठ नेता कल्याण बनर्जी ने पीके और अभिषेक बनर्जी के खिलाफ खुल कर मोर्चा खोल दिया, कल्याण ने इन दोनों को चुनौती दी है कि ’अगर वाकई आप चमत्कार करने का दम रखते हैं तो त्रिपुरा और गोवा में जीत कर दिखाओ।’ कहते हैं इन दिनों ममता की पार्टी के वे तमाम नेता एकजुट हो गए हैं, पीके की वजह से जो एकदम से दरकिनार हो गए थे। सूत्र यह भी बताते हैं कि पीके ने पार्टी का काफी पैसा गोवा में लुटा दिया, जहां गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री लुइजिन्हो फ्लेरियो के साथ 10 लोग कांग्रेस छोड़ टीएमसी में शामिल हुए थे, इसके एवज में फ्लेरियो और उनके लोगों को धन-धान्य से लाद दिया गया। फ्लेरियो को राज्यसभा भी दे दी गई। अब हालत यह है कि फ्लेरियो ने फतोर्डा विधानसभा सीट से अपना नाम भी वापिस ले लिया और अब वे कहते हैं कि उनके लिए राज्यसभा ही ठीक है। टीएमसी अब गोवा में जमीन पर आ गई है, ममता ने भी वहां सिर्फ दो दिन ही प्रचार किया है। सिर्फ मेघालय में ही मुकुल संगमा की वजह से टीएमसी वहां चमत्कार दिखा पाई है, जहां संगमा के नेतृत्व में कांग्रेस के 11 विधायक टीएमसी में शामिल हो गए, बाद में कांग्रेस के बचे-खुचे 5 विधायक भी मेघालय जनतांत्रिक गठबंधन में शामिल हो गए, सो, मेघालय में टीएमसी मुख्य विपक्षी दल हो गई। ममता के भतीजे और सांसद अभिषेक बनर्जी की पीके से दोस्ती दांत कटी रोटी है, अभिषेक आईपैक की मदद से ’एक व्यक्ति-एक पद’ की योजना लेकर आए जिससे पार्टी के पुराने नेता गण सहमत नहीं थे।

 
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