कश्मीर चुनाव मई में?

January 08 2023


जम्मू-कश्मीर में परिसीमन और मतदाता सूची को अंतिम रूप देने का काम पूरा हो चुका है। सो, ऐसे में जम्मू-कश्मीर के भाजपा प्रभारी तरूण चुग के बयान के निहितार्थ तलाशे जा सकते हैं जब उन्होंने कहा कि ’मई में जब वादियों की बर्फ पिघलेगी तब वहां चुनाव के माहौल बन सकते हैं।’ राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का समापन कश्मीर में होने जा रहा है, उनकी इस समापन यात्रा में नेशनल कांफ्रेस और पीडीपी शामिल हो रही है। यानी कांग्रेस ने एक तरह से साफ कर दिया है कि जम्मू-कश्मीर के आगामी चुनाव में उनका गठबंधन नेशनल कांफ्रेंस और महबूबा मुफ्ती के पीडीपी से होने जा रहा है। वहीं भाजपा का इरादा चुनावों में अकेले जाने का है। गुलाम नबी की डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी के 17 नेता पहले ही कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं, सो अब गुलाम नबी को भाजपा की ओर से कोई भाव नहीं मिल रहा। जब जम्मू में 37 सीटें थी तो भाजपा ने इसमें से 25 सीटें जीत ली थी। नए परिसीमन में जम्मू की सीटें बढ़ कर 43 हो गई है, भाजपा का इरादा इन सभी सीटों को जीतने का है। वहीं 9 सीटें एसटी यानी वन गुर्जर के लिए आरक्षित है, जिसमें से 7 सीटें कश्मीर घाटी में है। भाजपा की नज़र इन आरक्षित सीटों पर भी है। इसी रणनीति के तहत भाजपा ने गुर्जर बकरवाल समुदाय के गुलाब अली खटाना को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया है, इन्हें आने वाले दिनों में केंद्र में मंत्री भी बनाया जा सकता है। सज्जाद लोन की पार्टी से भी भाजपा का गठबंधन आकार पा सकता है। वैसे भी भाजपा जितेंद्र सिंह को जम्मू-कश्मीर का हिंदू सीएम बनाना चाहती है। यह मोदी के लिए 2024 का मास्टर स्ट्रोक साबित हो सकता है। पीओके का कश्मीर में विलय का मुद्दा अब ठंडे बस्ते में है, क्योंकि चीन इस मसले पर भारत को आंख दिखा रहा है, क्योंकि वहां से होकर चीन का सिल्क रूट गुजरता है।

 
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