अब क्या होगा यशवंत का |
July 12 2022 |
राष्ट्रपति चुनाव में संयुक्त विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा की हालत खासी पतली नज़र आ रही है। वैसे भी इतिहास गवाह रहा है कि राष्ट्रपति पद के विपक्षी उम्मीदवारों ने अब तलक 30-32 फीसदी वोट जुटा ही लिए हैं, एपीजे अब्दुल कलाम के वक्त चूंकि उन्हें 90 फीसदी वोट मिल गए थे तो विपक्षी उम्मीदवार लक्ष्मी सहगल की उम्मीदवारी बेमतलब रह गई थी। यही हाल इस बार यशवंत सिन्हा का लग रहा है, उनकी प्रस्तावक ममता बनर्जी तक ने कह दिया कि ’अगर उन्हें पहले से पता होता कि एनडीए एक आदिवासी महिला उम्मीदवार उतार रहा है तो वह उन्हीं का समर्थन करतीं।’ यहां तक कि यशवंत के पुराने मित्र सोरेन परिवार, देवेगौड़ा परिवार, मायावती, अकाली ये सभी द्रौपदी मुर्मू का समर्थन कर रहे हैं। शिवसेना के भी 40 विधायक टूट कर एनडीए के साथ चले गए हैं, सो वहां भी यशवंत के वोट कम हो गए हैं। पर तेलांगना के मुख्यमंत्री केसीआर यशवंत के समर्थन में अडिग खड़े हैं वे देशभर में घूम-घूम कर समर्थन जुटाने के लिए यशवंत के लिए जहाज भी मुहैया करा रहे हैं। अभी 2-3 जुलाई को भाजपा की दो दिवसीय कार्यकारिणी तेलांगना में आहूत थी, पूरे तेलांगना में भाजपा की सौजन्य से पोस्टर लगे थे-’डायनेस्टी मुक्त भारत’। वैसे भी तेलांगना में केसीआर का मुख्य मुकाबला भाजपा से ही है। नायडू की पार्टी लगातार नेपथ्य में जा रही है। ओवैसी की वजह से भी लगातार यहां भाजपा का उदय हो रहा है। 18 साल बाद भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हैदराबाद में हो रही है। यहां अगले साल चुनाव है, पिछले चुनाव में यहां की 119 सीटों में से केसीआर की टीआरएस को 88 और भाजपा को महज़ 1 सीट, कांग्रेस को 19, तेदेपा को 2 और ओवैसी की पार्टी को 7 सीटें मिली थीं। भाजपा हैदराबाद का नाम बदल कर भाग्य नगर रखने को कृतसंकल्प जान पड़ती है। सो केसीआर की पूरी कोशिश है कि यशवंत 2024 के चुनाव में विपक्षी एका के सूत्रधार बन कर उभरे, राष्ट्रपति चुनाव की सारी कवायद भी तो बस इसके लिए ही जान पड़ती है। |
Feedback |