अपनी ही पार्टी के निशाने पर येचुरी

November 01 2021


माक्र्सवादी पार्टी की केंद्रीय समिति की तीन दिवसीय बैठक नई दिल्ली में आहूत थी, पर इस बैठक में ज्यादातर नेता अपने पार्टी महासचिव सीताराम येचुरी से ही नाराज़ जान पड़ रहे थे, लगातार सवाल पूछे गए कि माकपा आखिरकार क्यों कांग्रेस की बैसाखी बनने को अभिशप्त है? येचुरी से यह भी पूछा गया कि ’उनकी राजनैतिक सोच सोनिया गांधी के आभामंडल के इर्द-गिर्द ही क्यों केंद्रित रहती है?’ एक पार्टी नेता ने तो अतिउत्साह में आकर येचुरी की तुलना अमर सिंह से कर दी, उन्होंने भरी बैठक में यह पूछने की जुर्रत कर दी वह भी अपने पार्टी महासचिव से कि ’आप अपनी भूमिका स्पष्ट करें कि यह अमर सिंह की रही है या भगत सिंह की?’ इतने तल्ख सवाल से येचुरी आहत हो गए, कहां तो वे अपने लिए एक ’टर्म’ और मांगने की सोच कर आए थे और कहां ऐसे अप्रिय सवालों से जूझना पड़ रहा था। जैसे ही इनके दूसरे टर्म की बात आई कई कम्युनिस्ट नेताओं के सामूहिक प्रतिवाद के स्वर सामने आने लगे-’केरल में पार्टी अपने दम पर आगे बढ़ी है, उसमें आपका कोई योगदान नहीं, बंगाल में हमारे साथ क्या हुआ यह सबके सामने है।’ येचुरी ने फिर कोरोना के प्रकोप की बात की जिसमें उन्होंने अपनों को खोया है, वे क्यूबा का उदाहरण देने लगे। पर नेता वह भी उनकी पार्टी के, चुप कहां हुए, कहने लगे-’रूस, क्यूबा छोड़ कर आप अपने देश की बात करिए, आखिर हम इतने ढलान पर क्यों है?’ यकीनन येचुरी को भी इन सवालों के जवाब ढूंढने ही होंगे।

 
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