’सिर्फ इसीलिए आंधियों ने हर मुमकिन तुझे डराया होगा
एक दीया रौशन जो तेरी आंखों में उसे नज़र आया होगा’
राहुल गांधी सुप्त प्रायः कांग्रेस में एक नई जान फूंकने की मशक्कत में जुटे हैं, ड्राईंग रूम से निकल कर कांग्रेसी नेतागण सड़क पर उतरने की हिम्मत दिखा रहे हैं, पर बावजूद इसके राहुल कांग्रेस के अध्यक्ष पद का कांटों भरा ताज अपने सिर पर रखने को तैयार नहीं। गांधी परिवार से जुड़े सूत्र खुलासा करते हैं कि राहुल ने अपनी ओर से अध्यक्ष पद के लिए दो नाम सामने रखे हैं, इनमें से एक नाम राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का है, दूसरा नाम उन्होंने अपनी बहन प्रियंका का आगे किया है। अशोक गहलोत राजस्थान छोड़ना नहीं चाहते, वे जानते हैं कि एक बार जो उन्होंने गद्दी खाली की तो सचिन पायलट की उड़ान को फिर कोई रोक नहीं सकता, सो गहलोत भी इस बात की वकालत में जुटे हैं कि अध्यक्ष तो राहुल को ही होना चाहिए, अगर वे इसके लिए एकदम तैयार नहीं हैं तो फिर यह बागडोर प्रियंका को सौंपी जा सकती है। लेकिन सोनिया गांधी की राय इस मामले में थोड़ी अलग दिख रही है, सोनिया की अंत तक कोशिश यही रहेगी कि राहुल पार्टी संभाले बतौर अध्यक्ष, अगर राहुल इस पर नहीं मानते हैं तो ऐसी सूरत में सोनिया गांधी इस जिम्मेदारी की निरंतरता को धार दे सकती हैं यानी फिलहाल अध्यक्षीय कुर्सी वह अपने पास ही रख सकती हैं। राहुल अध्यक्षीय जिम्मा लेने से हिचकिचा रहे हैं तो उन्हें जानने वाले इसकी दो मुख्य वजह बता रहे हैं, एक तो उन्हें लगता है कि नेशनल हेराल्ड मामले में कभी भी चार्जशीट आ सकती है और ईडी उन्हें गिरफ्तार करने की हद तक जा सकती है। उनकी दूसरी चिंता कांग्रेस के अपने चुनाव विश्लेषक सुनील कानूगोलू की वह रिपोर्ट है जिसमें वे हालिया विधानसभा चुनावों और 2024 के आम चुनावों में कांग्रेस के प्रदर्शन को लेकर सवाल उठा रहे हैं। जो भी हो इस मामले में आखिरी फैसला तो राहुल का ही होगा जो भारतीय सियासत की गंभीरता को किंचित अब समझने लगे हैं।