हार्दिक के आह्वान के अर्थ

August 30 2015


22 वर्ष के नौजवान हार्दिक पटेल के इस आह्वान को भाजपा गंभीरता से ले रही है कि ’2017 के चुनाव में गुजरात में कमल नहीं खिलेगा।’ दरअसल राम के वंशज माने जाने पाटीदार-पटेल गुजरात के 75-80 विधानसभा सीटों पर अपना सीधा दबदबा रखते हैं और किसी उम्मीदवार की हार-जीत में निर्णायक भूमिका अदा करते हैं, गुजरात में अकेले पटेल वोटरों का अनुपात तकरीबन 20 फीसदी है। दरअसल जब अस्सी के दशक में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री माधव सिंह सोलंकी ने ’खाम’(क्षत्रिय, हरिजन, आदिवासी व मुस्लिम) को आरक्षण का खटराग अलापा था तब यही पाटीदार-पटेल समुदाय इस आरक्षण के विरोध में सड़कों पर उतर आए थे, तब इन्हें केशुभाई पटेल का नेतृत्व मिला था, जिन्होंने इस आरक्षण के असंतोष में, हिंदुत्व का तड़का लगा राज्य से कांग्रेस का सूफड़ा साफ कर दिया था और तब से लेकर अब तक गुजरात में भगवा पताका लहरा रहा है। मोदी की ’एकला चलो’ राजनीति ने राज्य के पटेल समुदाय से उनका नुंमाइदा छिन लिया है, रही बात आनंदीबेन पटेल की तो उन्होंने कभी भी जमीन की राजनीति नहीं की है। चुनांचे आज भाजपा को गुजरात में अदद एक पटेल नेता की सख्त जरूरत है जो 17 के चुनाव में उसकी नैया पार लगा सके।

 
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