गडकरी का कुरैशी प्रेम

January 03 2015


संघ सर चालक मोहन भागवत की आंखों के तारे, बिजनेस वालों के दुलारे नितिन गडकरी तो मीट व्यापारियों के पक्ष में खुल कर अलख जगा रहे हैं, कुछ महीनों पहले गडकरी एआईजेक्यू यानी ऑल इंडिया जमाइतुल कुरैश की एक मीटिंग में खुलकर बोले थे- ‘मैंने इस कम्युनिटी की मांगों को पूरी करने वाली फाइल पर अपने दस्तख्त कर दिए हैं, और मेरी जहां जरूरत होगी आपके बिजनेस को आगे बढ़ाने में मैं आपके साथ खड़ा हूं।’ नरेंद्र मोदी सरकार के इस काबिल मंत्री ने इन मांस व्यापारियों को यह भी आश्वासन दिया था कि कत्लगाहों में ले जा रहे निरीह जानवरों को पुलिस या पशु अधिकार आंदोलनकर्मी रोक-टोक न करें इसके लिए वे परिहवन कानूनों में बदलाव को भी तैयार हैं। मामले के तुरंत-फुरंत निपटारे के लिए मोबाइल मैजिस्ट्रेट की तैनाती पर गडकरी ने बल दिया। सनद रहे कि कुरैशी फोरम के अध्यक्ष सिराजुद्दीन कुरैशी से गडकरी की गहरी छनती है, सिराजुद्दीन नई दिल्ली के लोदी रोड स्थित इंडिया इस्लामिक सेंटर के अध्यक्ष भी हैं और उन्हें राजनैतिक आकाओं को खुश रखने का हुनर बखूबी मालूम है। जबकि पशु अधिकारों की लड़ाई लड़ने वाले कई संगठनों ने परिवहन मंत्री से कहा था कि कत्लगाहों तक जानवरों को ले जाने वाले ट्रकों में एक खास किस्म के पिंजरे लगाए जाएं, ताकि जानवरों को कोई नुकसान न पहुंचे, नहीं तो अभी जानवरों को एक ही ट्रक में एक-दूसरे पर बेदर्दी से लाद दिया जाता है, स्लॉटर हाउस तक पहुंचते-पहुंचते कई घायल हो जाते हैं, कई दम तोड़ देते हैं, फिर भी इनके मांस का व्यापार होता है, जबकि लंदन में हर स्लॉटर हाउस में सरकार की ओर से डॉक्टरों की नियुक्ति होती है, एक बार जब वे जानवरों को स्वस्थ और फिट घोषित कर देते हैं तब ही इनके मीट का सेवन हो सकता है, नहीं तो उन्हें ‘डाउन एनिमल’ की श्रेणी में डाल दिया जाता है। पर भारत में ये सब जिस तरह धड़ल्ले से हो रहा है इसे आप ‘डाउन मोरल’ की रवायत मान सकते हैं।

 
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