चुनाव के मौसम में विपक्षियों ने उठाए ईवीएम पर सवाल |
December 15 2017 |
गुजरात चुनाव के बाद देश की तमाम बड़ी विपक्षी पार्टियां एक सुर में ईवीएम राग अलाप सकती हैं। सूत्र बताते हैं कि अगर गुजरात विधानसभा चुनाव में भाजपा को बंपर जीत मिलती हैं तो इसके विरोध स्वरूप विपक्षी पार्टियां एक स्वर में कर्नाटक चुनाव के बहिष्कार का ऐलान कर सकती है। कांग्रेस, आप, ममता बनर्जी, मायावती, कम्युनिस्ट पार्टी, लालू यादव जैसों की मांग है कि ईवीएम के बजाए बैलेट पेपर द्वारा चुनाव करवाए जाएं, इन दलों के तर्क हैं कि अमेरिका जैसे बड़े लोकतांत्रिक मुल्कों में भी ईवीएम के बजाए बैलेट पेपर का इस्तेमाल होता है। यूपी के हालिया निकाय चुनावों का हवाला देते हुए बसपा के एक नेता का कहना है कि यहां मेयर के चुनाव में ईवीएम का इस्तेमाल किया गया, जिसमें 16 में से 14 मेयर का चुनाव भाजपा जीत गई। वहीं 438 नगर पंचायत अध्यक्ष के चुनाव, जो बैलेट पेपर के मार्फत हुए उसमें भाजपा 337 से ज्यादा सीटों पर चुनाव हार गई। यही हाल नगर पंचायत सदस्य, नगरपालिका परिषद अध्यक्ष, नगरपालिका परिषद सदस्य के चुनाव में भी हुआ, जहां वोट मत पत्रों (बैलेट) पर पड़े और जहां ज्यादातर जगहों पर भगवा पार्टी को हार का मुंह देखना पड़ा। वहीं एक कांग्रेसी दिग्गज यह सवाल उठाते हैं कि आखिर आनन-फानन में इलेक्शन कमीशन के आईटी सेल को डेढ़ वर्ष पहले किस इरादे से अहमदाबाद लाया गया और यहां चुनाव आयोग ने अपना नया इन्फॉरमेटिक्स सेंटर अहमदाबाद में क्यों खोला है? जहां एक निजी कंपनी की देखरेख में मतदान के बाद उपलब्ध डाटा को प्रोसेस किया जाता है और तीन चरणों में इसकी निगरानी की जाती है। कांग्रेस इस कंपनी के मालिकाना हक को लेकर भी सवाल उठा रही है, पार्टी का पक्के तौर मानना है कि इस निजी कंपनी का स्वामित्व गुजरात के उस बड़े उद्योगपति का है, जो घोषित तौर मोदी के बेहद करीबियों में शुमार होते हैं। |
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