कहते हैं राजनीति में कुछ भी चिर स्थायी नहीं होता, न दुश्मनी, ना मित्रता। इतने वर्षों से जगनमोहन रेड्डी के नखरे उठा रही मोदी सरकार अब आंध्र को लेकर एक बदले तेवर में दिख रही है। इसकी सुगबुगाहट का तब अंदाजा हुआ जब दक्षिण की एक जनसभा में केंद्रीय गृह मंत्री अमित ‘ााह ने पहली बार आंध्र के सीएम जगनमोहन रेड्डी को आड़े हाथों लेते हुए कहा-‘जगनमोहन सरकार ने राज्य में कुछ काम नहीं किया है, सिवाय भ्रष्टाचार के। दिल्ली की मोदी सरकार आंध्र को जो पैसे भेजती है जगन का काडर उसे लूट लेता है।’
‘ााह के इस ‘ांखनाद में भविष्य की राजनीति की आहटें छुपी हैं। दरअसल, 2014 के आम चुनाव में नायडू की तेदेपा और भाजपा के बीच गठबंधन था, जिसमें भाजपा 3 सीट जीत गई थी। पर 2018 में चंद्रबाबू ने भाजपा से अपना नाता तोड़ लिया था। पर अब पिछले एक वर्ष से चंद्रबाबू अपने गृह राज्य में अपनी खोई जमीन हासिल करने की जद्दोजहद में दिल्ली आकर भाजपा के ‘ाीर्ष नेताओं के खूब चक्कर काट रहे हैं। इस राष्ट्रपति चुनाव में भी चंद्रबाबू की तेदेपा ने एनडीए की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मु का खुला
समर्थन किया था। भाजपा दक्षिण भारत में अपने कमजोर होते जनाधार से पार पाना चाहती है, सो अगर ऐसे में उसे चंद्रबाबू का साथ मिला तो आने वाले तेलांगना विधानसभा चुनाव में भी वह चंद्रशेखर राव के समक्ष महती चुनौती उपस्थित कर सकती है क्योंकि तेलुगु देशम का तेलांगना के कुछ सीटों पर अब भी प्रभाव है। अगले साल मई में लोकसभा चुनाव के साथ-साथ आंध्र के विधानसभा चुनाव भी होने हैं जहां भाजपा चंद्रबाबू का साथ पाकर 2014 का इतिहास दुहराना चाहती है।