राहुल गांधी की किचेन कैबिनेट बनती नहीं कि बिखरती जाती है। इसके कई अहम सदस्यों ने एक-एक करके राहुल का साथ छोड़ दिया। एक वक्त था जब राहुल की किचेन कैबिनेट का चेहरा (2014 से 2019 तक) ज्योतिरादित्य सिंधिया, दिग्विजय सिंह, मीनाक्षी नटराजन, सचिन पायलट, जितिन प्रसाद, आरपीएन सिंह, मिलिंद देवड़ा जैसे नेताओं से मिल कर बनता था। बाद में आरपीएन सिंह, सिंधिया, प्रसाद व देवड़ा जैसे नेताओं ने राहुल का साथ छोड़ अपनी नई राह पकड़ ली। अब राहुल की नई किचेन कैबिनेट में केसी वेणुगोपाल, अजय माकन, जयराम रमेश, मणिकम टैगोर, सुनील कानूगोलू के नाम शामिल हैं। कानूगोलू भले ही राहुल मंडली में शामिल अपेक्षाकृत एक नए चेहरे हैं, पर 2024 के आम चुनावों के लिए गठित कांग्रेस की ’टास्क फोर्स’ का उन्हें अहम सदस्य बनाया गया है।
पिछले सप्ताह प्रियंका गांधी सवेरे-सवेरे एक प्राइवेट जेट से हैदराबाद जा पहुंची, जहां उनकी तेलांगना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी से अकेले में एक लंबी बातचीत हुई। कहते हैं फिर वह उसी जेट से सीधे शिमला आ गईं। शिमला में उनकी मुलाकात वहां के सीएम सुक्खी, कांग्रेस की वरिष्ठ नेता प्रतिभा सिंह और मुकेश अग्निहोत्री के साथ हुई। इसके बाद ही पार्टी में इस बात पर सहमति बनी कि सोनिया व प्रियंका दोनों ही नेत्री लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ेंगी, पार्टी सोनिया को तेलांगना से और प्रियंका को हिमाचल से राज्यसभा में भेजेगी।
चूंकि शनिवार को उप राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोटिंग होनी थी, सो चुनाव के एक दिन पहले शुक्रवार को संसद के पुस्तकालय में भाजपा सांसदों के लिए एक ट्रेनिंग सत्र आहूत था, जिसमें संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी के नेतृत्व में सीनियर मंत्रियों का एक दस्ता वहां मजबूती से डटा था। जो भगवा सांसदों को बारीकी से वोटिंग की जानकारी दे रहे थे कि ’कैसे चयनित उम्मीदवार के समक्ष डॉट लगाना है, कैसे बैलेट पेपर को फोल्ड करना है और कैसे उसे बक्से में डालना है।’ भाजपा सांसद भी लोकतंत्र के अनुशासित छात्र के मानिंद अपने सीनियर के हर आदेश को शिरोधार्य कर रहे थे।
इस शुक्रवार को संसद में एक दिलचस्प नज़ारा देखने को मिला, सत्र समाप्त होने के बाद अमित शाह कोई दर्जन भर सांसदों से घिरे, संसद से बाहर जाने के लिए अपनी कार की ओर बढ़ रहे थे। वहीं उनके पीछे-पीछे तमाम प्रोटोकॉल को धत्ता बताते हुए उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू तेजी से चले आ रहे थे, लगभग भागते हुए। पर सांसदों की भीड़ में घिरे शाह वेंकैया की आवाज सुन नहीं पाए, अपनी गाड़ी में बैठ कर वहां से आगे निकल गए, वेंकैया की उद्दात सियासी महत्वाकांक्षाओं को बहुत पीछे छोड़ते हुए।
अब पत्रकारों को भी कोरोना के दौर में सूचनाओं के लाले पड़ने लगे हैं। सबसे पहले पीआईबी की ओर से मान्यता प्राप्त पत्रकारों को संदेशा आया कि उन्हें पीआईबी की रेगुलर ब्रीफिंग में आने की जरुरत नहीं। बस कुछ एजेंसियों को बुलाकर उन्हें ब्रीफ कर दिया जाएगा। इसके बाद मंत्रालय कवर कर रहे कुछ पत्रकारों को ज्ञात हुआ कि सरकार ने कुछ अपने चहेते पत्रकारों का एक ‘व्हाट्सऐप्प ग्रुप’ बना रखा है, उन्हें अहम सूचनाएं इसी व्हाट्सऐप्प ग्रुप पर मिल जाया करती हैं। जब अन्य पत्रकारों को इस बात का पता लगा तो विरोध के स्वर उठे। फिर पत्रकारों से सरकार के प्रवक्ताओं के लिए पूछे जाने वाले सवाल लिखित में मंगा लिए गए और बाद में कुछ पत्रकारों को ब्रीफिंग में शामिल होने की अनुमति भी दे दी गई। पर यह अनुमति भी प्रतीकात्मक थी, क्योंकि पत्रकारों को ब्रीफिंग में सवाल पूछने की इज़ाजत नहीं मिली। व्हाट्सऐप्प ग्रुप पर पूछे गए सवालों में भी सरकार की ओर से केवल 3 सवालों के जवाब आए। कोरोना से जंग में भारत ने चीन से इतना तो सीख ही लिया है कि मीडिया को किस हद तक नियंत्रण में रखना है।
कांग्रेस में नए बदलाव की आहट साफ सुनी जा सकती है, कई केंद्रीय मंत्रियों को संगठन में लेने की कवायद शुरू हो चुकी है। जयंती नटराजन मामले से यह आगाज़ पहले ही हो चुका है, अब जितिन प्रसाद, आर.पी.एन.सिंह, ज्योतिरादित्य सिंधिया, सचिन पायलट जैसे मंत्रियों को संगठन की सेवा में लगाया जा सकता है, सचिन पायलट को राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी का तथा सिंधिया को मध्य प्रदेश कांग्रेस का प्रमुख बनाया जा सकता है।
जीवन के अनुगुंज में अविरल बहता वक्त भी कभी ठहरा है, धीरे-धीरे वक्त वर्ष के कांधों से उतरता वर्ष 2013 अपने अवसान की ओर प्रस्तर है, आतुर ललक के साथ एक नए वर्ष के आगाज़ के जश्न में शामिल होने के लिए कांग्रेस सुप्रीमो सोनिया गांधी परिवार समेत मालद्वीप जा रही हैं। देश मंथन में जुटा है कि आखिरकार आम अवाम के लिए नए वर्ष के माएने क्या है?
वित्त मंत्री पी.चिदंबरम ‘तहलका फेस्ट’ में नम्रतापूर्वक पहले ही कह चुके हैं कि ‘आई बिलीव इन बिइंग इन पॉलिटिक्स ग्रेसफुली एंड एक्जिटिंग पॉलिटिक्स ग्रेसफुली'(मैं गरिमापूर्ण तरीके से राजनीति में रहना चाहता हूं और इतनी ही गरिमामयी तरीके से राजनीति से अपनी विदाई भी चाहता हूं), क्या यह विदाई की बेला आ पहुंची है? नहीं तो ऐसा क्या चल रहा था पीसी के मन में कि वे बेहद अवसादग्रस्त हो पिछले दिनों सोनिया गांधी से मिले और उनसे दो टूक कहा कि ‘आप हमारी लोकसभा सीट बदल दीजिए, क्योंकि शिवगंगा से इस बार मैं जीत नहीं सकता, सो इस दफे का चुनाव मैं पुद्दुचेरी से लड़ना चाहता हूं, अगर यह मुमकिन नहीं तो फिर मुझे राज्यसभा से ले आइए और अगर यह भी मुमकिन नहीं तो कोई बात नहीं, मैं अपने सियासी जीवन में बहुत कुछ देख चुका हूं।’ सोनिया के लिए चिदंबरम का यह निवेदन उन्हें हतप्रभ करने वाला था, सो वह सिर्फ मुस्कुरा कर रह गईं।
भाजपा के असंतुष्टï किरोड़ीलाल मीणा पर मोदी ने डोरे डाल दिए हैं। मोदी ने मीणा से बात कर उन्हें आश्वासन दिया है कि अगर केंद्र में इस बार भाजपा की सरकार आई तो मीणा को यूनियन कैबिनेट में जगह मिलेगी, बस एनपीपी के टिकट पर निर्वाचित उनके विधायकों को राजस्थान में वसुंधरा राजे को सरकार बनाने के लिए समर्थन देना है, सनद रहे कि मीणा ने इस बार के राजस्थान विधानसभा के चुनाव में ज्यादातर भाजपा असंतुष्टïों को ही टिकट दिया है, खासकर वैसे लोगों को जो भाजपा का टिकट नहीं मिलने से नाराज होकर भगवा पार्टी छोड़ गए थे। मीणा के पास मोदी के प्रस्ताव को मानने के सिवा और कोई चारा भी तो नहीं, क्योंकि वे जानते हैं कि अगर वे नहीं माने तो उनकी पार्टी टूट जाएगी।
संघ ने दिल्ली विधानसभा चुनाव को अपनी नाक का सवाल बना लिया है, वैसे भी संघ के नुमांइदे नितिन गडकरी दिल्ली चुनावों के भगवा प्रमुख है, इस नाते भी संघ के लिए दिल्ली में हस्तक्षेप कर पाना कहीं ज्यादा आसान है। संघ ने बूथ स्तर तक के मैनेजमेंट में अपनी दखल बना रखी है, हर बूथ से संघ का दो समर्पित कार्यकत्र्ता जुड़ा है, जिसका सर्वप्रमुख कार्य भाजपा से सहानुभूति रखने वाले मतदाताओं को मतदान केंद्र तक लाना है। पर भाजपा उम्मीदवारों को पार्टी की ओर से कोई खास आर्थिक मदद नहीं मिल रही है, इस बात की शिकायत कई भाजपा उम्मीदवार नितिन गडकरी से कर चुके हैं, अपने उम्मीदवारों के लिए भाजपा का बजट ही प्रति विधानसभा कोई 10 से 25 लाख के बीच है। अब जबकि चुनाव में महज चंद रोज बाकी रह गए हैं, तो उन्हें पार्टी की ओर से पैसा मिलना शुरू हुआ है क्योंकि भाजपा नेतृत्व की राय में उनके ज्यादातर प्रत्याशी आर्थिक तौर पर इतने सबल हैं कि वे अपने खर्चे पर अपना चुनाव लड़ सकते हैं।