Posted on 08 December 2013 by admin
बक्सर संसदीय सीट से नीतीश कुमार इस दफे शिवानंद तिवारी को लड़ाना चाहते हैं, फिलवक्त यह सीट लालू के पार्टी के कब्जे में है और वहां से जगदानंद सिंह सांसद हैं, पर जगदानंद से क्षेत्र के लोगों की काफी नाराजगी है क्योंकि वहां के लोगों को यदाकदा ही उनके दर्शन होते हैं। रही बात भाजपा की तो भाजपा ने एक तरह से तय कर दिया है कि अपनी उम्र की इस पड़ाव पर जा पहुंचे लालमुनि चौबे को इस दफे पार्टी टिकट नहीं मिलेगा। भाजपा कोई नया उम्मीदवार लेकर आएगी। पर शिवानंद के साथ दिक्कत यह है कि उनके दल बदल के रिकार्ड को देखते हुए न तो पिछड़ी जातियां और न ही उनके सजातीय ब्राह्मïण ही उन्हें वोट देना चाहते हैं, सो उनका मामला तब ही बन सकता है जब भाजपा यहां से अपना कोई कमजोर उम्मीदवार मैदान में उतारे (ऐसा लालू को खुश करने के लिए किया जा सकता है)
Posted on 01 September 2013 by admin
लालू प्रसाद कांग्रेस पर तमाम डोरे डाल रहे हैं। पर कांग्रेस है कि बिहार में लालू की राजद के साथ जाने को कतई राजी नहीं। यहां तक कि लालू ने कांग्रेस के लिए बिहार की 40 में से 10 संसदीय सीटें छोड़ने की पेशकश कर दी है। पर फिर भी राहुल गांधी को लगता है कि कांग्रेस को अकेले चुनाव में जाना चाहिए। इसके लिए कांग्रेस अपने उम्मीदवारों को संसाधनों की कोई कमी नहीं आने देगी। महाराजगंज उपचुनाव में भले ही कांग्रेसी उम्मीदवार जितेंद्र स्वामी की जमानत जब्त हो गई हो पर समझा जाता है कि पार्टी ने उन्हें चुनाव लड़ने के लिए कोई चार करोड रूपए दिए थे।
Posted on 28 August 2012 by admin
Leider ist der Eintrag nur auf English verfügbar.
Posted on 18 June 2012 by admin
जे.जयललिता और नवीन पटनायक के तमाम समझाने-बुझाने के बावजूद संगमा हैं कि वे अपनी उम्मीदवारी वापिस लेने को तैयार नहीं। सो, लगता है कि विपक्ष ने भी तय कर लिया है कि क्यों नहीं संगमा को ही प्रणब दा के समक्ष एक महती चुनौती उपस्थित करने के लिए पेश किया जाए?
Posted on 04 June 2012 by admin
जगन पर तमाम सितम ढाने के बाद भी आंध्र प्रदेश को लेकर कांग्रेस में सर्वत्र चिंता का आलम व्याप्त है, कुछ इसके लिए गुलाम नबी आजाद के ढुलमुल रवैए को जिम्मेदार बता रहे हैं तो कुछ कांग्रेसी ऐसे भी हैं जिन्हें लगता है कि जगन के मुद्दे पर 10 जनपथ ने कुछ ज्यादा ही सख्ती बरतने के निर्देश दे दिए। नहीं तो जगन के कांग्रेस में कई शुभचिंतक थे जो उन्हें काएदे से समझा-बुझा सकते थे। मसलन वीरप्पा मोइली, अहमद पटेल व राजीव शुक्ला आदि। आंध्र के 18 उप चुनावों को लेकर पार्टी की घिग्गी बंधी हुई है, कांग्रेसियों को ही लग रहा है कि इस उप चुनाव में जगन 15-16 सीटें जीत सकते हैं। किरण रेड्डी को संभालने में भी अब तलक कांग्रेस आलाकमान विफल रहा है। जगन को परेशान करने के लिए कांग्रेस एक बड़ा दांव चल सकती है वह है आंध्र का बंटवारा यानी एक अलग तेलंगाना राज्य का गठन चाहे कुछ भी हो जगन आज भी राज्य में कम से कम सवा से डेढ़ सौ सीटें जीतने की स्थिति में हैं। यानी आंध्र में कांग्रेस का सूफड़ा साफ होता दिख रहा है।
Posted on 22 April 2012 by admin
अखिलेश यादव यूपी के मुख्यमंत्री बन तो गए हैं पर तमाम बड़े फैसलों के लिए वे पिता के साए से बाहर नहीं निकल पाए हैं, पिता ने अपनी पसंद का मंत्रिमंडल गठित करवाया, जिसके 99 फीसदी मंत्री मुलायम की पसंद के हैं, अभिषेक मिश्रा जैसे इक्के-दुक्के अपवादों को छोड़ दिया जाए तो भी अधिकांश मुलायम समर्थकों को ही मंत्रिमंडल में जगह मिली है। सीएम कार्यालय में भी मुलायम की बेहद करीबी रह चुकीं अनिता सिंह ने डेरा-डंडा जमा रखा है। शिवपाल सिंह यादव तो ‘प्रॉक्सी मुख्यमंत्री’ की तरह आचरण कर रहे हैं, सीधे राज्य के डीजी को फोन कर कह देते हैं कि ‘फलां एसपी को हटाओ, हम सीएम से कहकर आर्डर करा देंगे।’ दिल्ली व दिल्ली से जुड़े राजनैतिक मामलों में भी नेताजी की सीधी दखल है, बची-खुची कसर प्रोफेसर रामगोपाल यादव पूरी कर देते हैं।
Posted on 01 April 2012 by admin
कांग्रेस शासित प्रदेशों में मुख्यमंत्री भी बदले जा सकते हैं, राजस्थान में अशोक गहलोत और आंध्र प्रदेश में किरण कुमार रेड्डी के रिपोर्ट कार्ड से पार्टी हाईकमान सकते में हैं, और इन दोनों ही राज्यों में बेहतर विकल्प की तलाश जारी है।
Posted on 11 December 2011 by admin
संसद के मौजूदा शीतकालीन सत्र में अभी तक राहुल गांधी नहीं दिखे हैं। मैडम सोनिया की उपस्थिति भी बेहद कम रही है। जिनके दम पर देश की सत्ता बरकरार है वे संसद को कितनी गंभीरता से लेते हैं इसका पता तो चल ही चुका है।
Posted on 19 November 2011 by admin
किंगफिशर के विजय माल्या पर केंद्रनीत यूपीए सरकार की मेहरबानियों की कई खास वजहें हैं। नहीं तो व्यालार रवि से लेकर स्वयं प्रधानमंत्री तक डूबते किंगफिशर को बचाने के लिए बेलआऊट पैकेज की वकालत करते दिखे। समझा जाता है कि कर्नाटक की राजनीति में अब भी माल्या का सिक्का चलता है और कहा जाता है कि राज्य के कम से कम 13 विधायकों पर माल्या का इतना प्रभाव है कि माल्या जिधर चाहें वे उधर जा सकते हैं। माल्या की शरद पवार से भी गहरी छनती है यह बात कांग्रेस बखूबी जानती है।
Posted on 06 November 2011 by admin
लालू यादव ने लगता है जैसे बिहार से नाता ही तोड़ लिया है, अपना जन्मदिन हो या दिवाली और छठ जैसे बिहारियों के महापर्व, लालू ने दिल्ली में ही सेलिब्रेट किया, अब तो उनके बारे में इतना तक कहा जाने लगा है कि वे अगला लोकसभा चुनाव भी पश्चिमी दिल्ली से लड़ सकते हैं, जहां पूर्वांचली मतदाताओं की अच्छी तादाद है।