Posted on 02 September 2013 by admin
संघ और भाजपा के दरम्यान नए रिश्तों की सुगबुगाहट का दौर जारी है, इस कड़ी में एक बड़े बदलाव के साफ संकेत मिलने लगे हैं। संघ की ओर से पिछले कई वर्षों से भाजपा की कमान संभाल रहे और उसकी बकायदा सवारी गांठ रहे इसके संयुक्त सचिव सुरेश सोनी की छुट्टïी होने के पूरे आसार बन गए हैं। अगर सब कुछ संघ प्रमुख भागवत के तय फॉर्मूले के मुताबिक चला तो भागवत के बेहद करीबी और ब्राह्मïण नेताओं को पार्टी व संगठन में आगे बढ़ाने की कूवत रखने वाले संघ के सहसरकार्यवाह और संयुक्त महासचिव डा. कृष्ण गोपाल सोनी की जगह ले सकते हैं। अब 29 अगस्त को जब संघ प्रमुख भागवत अपने तीन दिनों के प्रवास पर दिल्ली पधारे थे और भाजपा के प्रमुख नेताओं से मिल रहे थे तो उन तमाम मुलाकातों में कृष्ण गोपाल की सबसे महती भागीदारी थी। और भागवत भी जाने-अनजाने गोपाल को संघ के अगले प्वाइंट मैन की तरह पेश कर रहे थे। सनद रहे कि सुरेश सोनी को हटाने की मांग लंबे समय से भाजपा के वयोवृद्ध नेता अडवानी और उनके कैंप के अन्य नेतागण करते आए हैं। भाजपा के गोवा अधिवेशन में मोदी की ताजपोशी के दौरान रूठे अडवानी को जब भागवत मनाने का प्रयत्न कर रहे थे तो अडवानी की सर्वप्रमुख शत्र्त ही यही थी कि संघ सुरेश सोनी की जगह किसी और को भाजपा काप्रभार सौंपे। इस विचार को एक तरह से भागवत ने अपनी ओर से हरी झंडी दे दी थी। पर पिछले कुछ दिनों में सुरेश सोनी जिस तरह से एक से एक नए आरोपों से घिरते जा रहे हैं, उनकी रूखसती की धारणा और पुख्ता होती जा रही है। अभी भोपाल के दो बिजनेस घरानों ‘एसके ग्रुप’ के सुधीर शर्मा और ‘डीबीएल ग्रुप’ के दिलीप सूर्यवंशी के यहां आयकर विभाग का छापा पड़ा तो उन छापों में सुधीर शर्मा की एक डायरी भी बरामद हो गई जिसमें इस बात का जिक्र था कि वे किन-किन नेताओं की यात्राओं का भुगतान करते हैं। भाजपा की ओर से प्रभात झा, लक्ष्मीकांत शर्मा के अलावा सुरेश सोनी के नाम के कागजात भी निकल आए। इस बात को लेकर पार्टी व संघ में खासी खलबली मची है। भाजपा में सोनी विरोधी गुट इसे एक उपयुक्त मौका मानता है कि उन्हें इसी वक्त बाहर का दरवाज़ा दिखाया जाए।
पर भाजपा नेताओं की एक बड़ी जमात मसलन, राजनाथ सिंह, नरेंद्र मोदी, अरूण जेटली सरीखे नेता नहीं चाहते कि ऐन चुनाव के वक्त वह भी अडवानी कैंप के दबाव में सोनी को हटाया जाए। इससे कैडर में अच्छा संकेत नहीं जाएगा। दरअसल, भाजपा के कई गैर ब्राह्मïण नेता डा. कृष्ण गोपाल की ‘प्रो-ब्राह्मïण इमेज’ से घबराते हैं। मूलत: यूपी के मथुरा के रहने वाले कृष्ण गोपाल ने पर्यावरण विज्ञान में आगरा विश्वविद्यालय से मास्टर्स की डिग्री हासिल कर रखी है। इसके बाद उन्होंने ‘कांउसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडसट्रियल रिसर्च’ से डाक्टरेट भी कर रखी है। संघ के क्षेत्रीय प्रचाारक के तौर पर वे असम और मिजोरम जैसे उत्तर पूर्व राज्यों में 9 साल का वक्त गुजार चुके हैं। सो, उनके अनुभव और कार्यक्षमता पर कोई प्रश्नचिन्ह नहीं लगाता। फिर भी मोदी व राजनाथ यह तर्क दे रहे हैं कि अगर कृष्ण गोपाल को सोनी की जगह लाना भी है तो ऐसा 2014 के लोकसभा चुनाव संपन्न हो जाने के बाद होना चाहिए। पर ना तो भागवत और ना ही अडवानी कैंप इतने इंतजार के मूड में है। मोहन भागवत के ‘ब्ल्यू आइड ब्याय’ नितिन गडकरी और सोनी में भी छत्तीस का आंकड़ा है। इन दोनों के संबंध तब बिगड़े थे जब अपने अघ्यक्षीय कार्यकाल में गडकरी ने सोनी के सबसे चहेते प्रभात झा को मध्यप्रदेश भाजपा के अध्यक्ष पद से हटा दिया था। ऐसा गडकरी ने प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कहने पर किया था, जिनके पास झा के भ्रघ्टाचार के बारे में तमाम तरह की शिकायतें थीं। सो, गडकरी भी गाहे-बगाहे भागवत पर यह दबाव बना रहे हैं कि जितनी भी जल्दी हो सोनी को चलता किया जाए तभी संघ और भाजपा में एक अच्छा सामंजस्य कायम हो पाएगा। क्योंकि इस जुलाई माह में संघ के प्रांत प्रचारकों की महाराष्टï्र के अमरावती में जो बैठक हुई थी उसमें संघ की तरफ से अपने प्रचारकों को आदेश दिया गया था कि आनेवाले सभी चुनावों में संघ व भाजपा कार्यकत्र्ताओं के बीच अच्छा तालमेल दिखना चाहिए। अब इसी कथन को जमीन पर उतारने की बारी है। सो, देखना है कि सोनी कब तक खैर मनाते हैं।
Posted on 31 August 2013 by admin
पिछले दिनों सपा सांसद जया प्रदा भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह से मिलने आ पहुंची और उन्होंने इच्छा जताई कि वो भाजपा के टिकट पर रामपुर संसदीय सीट से चुनाव लड़ना चाहती हैं। पर वे राजनाथ से एक फेवर चाहती थीं और वह यह कि ‘कैश फॉर वोट’ मामले में भाजपा खासकर राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष अरूण जेटली अमर सिंह के प्रति अपना रवैया थोड़ा लचीला कर लें। राजनाथ ने जया प्रदा को भरोसा दिलाया है कि वे इस बारे में जेटली से जरूर बात करेंगे और उन्हें इत्तला भेज देंगे।
Posted on 25 August 2013 by admin
23 साल बाद विहिप नेता अशोक सिंघल की तंद्रा टूटी है, और उन्हाेंने नरेंद्र मोदी के पक्ष में हिंदुत्व का अलख जगाने के लिए 84 कोस की परिक्रमा की योजना बनायी है, जिसे जाने-अनजाने तौर मुलायम सिंह का मूक समर्थन भी हासिल बताया जाता है। दरअसल भाजपा व सपा दोनों ही यूपी में वोटों का धु्रवीकरण चाहती हैं, जिस प्रकार राज्य में अखिलेश सरकार चल रही है उससे भी लोगों का ध्यान बंटाने के लिए विहिप का यह हंगामा मुलायम एंड कंपनी को रास आ रहा है। दरअसल अशोक सिंघल और इनके दिवंगत भाई पर नरेंद्र मोदी के बड़े अहसान है, मोदी ने गुजरात की सत्ता संभालने के बाद सिंघल ब्रदर्स के कंप्यूटर के कारोबार को फलने-फूलने में खूब मदद की, उन्हाेंने गुजरात में इसकी असेंबल यूनिट लगवाने में भी मदद की। आज ऋृ ण उतारने का वक्त है, सो महज मोदी को हिंदुत्व का नया हीरो बनाने की गरज से सिंघल ने यह सारा ड्रामा रचा है। भाजपा के यूपी प्रभारी अमित शाह जब फैजाबाद, यूपी गए थे तब ही इस यात्रा की रूपरेखा को अंतिम रूप दे दिया गया था, इससे पहले इलाहाबाद और हरिद्वार में बाबा रामदेव के आश्रम में विहिप द्वारा संत समाज को इस यात्रा के बारे में विस्तार से बता दिया गया था, इस पूरी योजना को कार्यान्वित होने में मोदी ने अपनी ओर से धन की कोई कमी नहीं आने दी है।
Posted on 17 August 2013 by admin
कांग्रेस के बाद अब भाजपा के भी केंद्रीय ‘वॉर रूम’ ने काम करना शुरू कर दिया है। पिछली बार 2009 के लोकसभा चुनाव में पार्टी का ‘वॉर रूम’ अनंत कुमार के सरकारी आवास पर बनाया गया था और सुधीन्द्र कुलकर्णी को इसकी जिम्मेदारी दी गई थी। इस दफे पार्टी के मुख्यालय 11 अशोक रोड में इस ‘वॉर रूम’ को रखा गया है और इसकी जिम्मेदारी पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुख्तार अब्बास नकवी को सौंपी गई है। मोदी और राजनाथ इन दोनों ही नेताओं की इस ‘वॉर रूम’ में खासी दिलचस्पी है। मोदी ने एक तरह से खुद ही ‘वॉर रूम’ को मॉनिटर करना तय किया है। भाजपा के ‘वॉर रूम’ में चुनाव प्रबंधन, चुनावी कैंपेन, स्ट्रेटजी, चुनाव कार्यक्रम और नेताओं के प्रवास से संबंधित कार्यक्रमों की देख-रेख शामिल है। भाजपा का यह ‘वॉर रूम’ मूलत: नए और अनुभवी लोगों का एक मिला-जुला जमावड़ा है। दिल्ली का यह ‘वॉर रूम’ अलग-अलग प्रदेशों में काम कर रहे ‘वॉर रूम’ से सामंजस्य बिठाने का भी काम करता है। सूचनाओं व संवाद का आदान-प्रदान करता है, पार्टी का कैंपेन, नेताओं के दौरे, पब्लिक रैली का आयोजन तथा पार्टी की स्टेट यूनिट और केंद्रीय यूनिट में सामंजस्य बिठाने का भी प्रयास यही ‘वॉर रूम’ करता है। भाजपा की आनेवाले दिनों में इस ‘वॉर रूम’ को और सक्रिय बनाने की योजना है।
Posted on 14 August 2013 by admin
जिस नरेंद्र मोदी को कांग्रेस और उनके समर्थित दल 2002 के गुजरात दंगों के प्रतिनायक बनाने पर तुले हैं, वहीं मोदी देश के मुसलमानों को लेकर अपना महत्त्वाकांक्षी विान डाक्यूमेंट लेकर सामने आ रहे हैं। भाजपा उपाध्यक्ष मुख्तार अब्बास नकवी की अध्यक्षता में मोदी ने एक टीम गठित की है और यह टीम ‘विान डाक्यूमेंट फॉर इंपावरमेंट ऑफ माइनारिटीा’ लेकर आ रही है। जैसाकि स्वयं मुख्तार अब्बास नकवी पंजाब केसरी के साथ अपनी एक खास बातचीत में स्वीकार करते हैं कि ‘हम मुस्लिम समाज के तुष्टिकरण नहीं, अपितु उनके सशक्तिकरण की बात कर रहे हैं, और हमारा सबसे ज्यादा ध्यान मुस्लिम समुदाय के राजनैतिक सशक्तिकरण को लेकर है। अपने विान डाक्यूमेंट में हम देश के मुसलमानों से वादा करने जा रहे हैं, अगर हम सत्ता में आए तो इसकी एक एटीआर (एक्शन टेकन रिपोर्ट) लेकर आएंगे कि हमने मुसलमानों से क्या वायदे किए थे और कितने पूरे कर पाए हैं।’ नकवी यह भी बताते हैं कि ‘हम चुनाव से ऐन पहले यूपीए सरकार पर एक चार्जशीट भी दाखिल करने जा रहे हैं कि कांग्रेस के राज में अब तक अल्पसंख्यकों का कितना राजनैतिक शोषण हुआ है। चर्ााशीट इसका एक पूरा सम्यक दस्तावो होगा। चर्ााशीट तैयार करने की टीम में मेरे अलावा गोपीनाथ मुंडे, रविशंकर प्रसाद, निर्मला सीतारमण शामिल हैं। यह चर्ााशीट एक तरह से कांग्रेस की नाकामियों का एक ‘ब्लैक पेपर ‘होगा।’ नकवी दावा करते हैं कि ‘देश के मुसलमानों से जो हम वायदे कर रहे हैं वह हमारे लिए सिर्फ चुनावी चौपाल की चक्कल्लस नहीं हैं, बल्कि हम इसे ईमानदारी के साथ हकीकत में बदलना चाहते हैं।’
मुख्तार अब्बास नकवी बताते हैं कि ‘इस विान डाक्यूमेंट में नरेंद्र मोदी की खास दिलचस्पी है। उन्होंने गुजरात में कई क्रांतिकारी कदम उठाए हैं, मसलन गुजरात के हर पुलिस थाने में जरूरी रूप से एक से लेकर तीन मुस्लिम पुलिस अफसर तैनात हैं। गुजरात इस मामले में देश का एकमात्र ऐसा राज्य बन गया है, जो पिछले 6 वर्षों से इस प्रैक्टिस को बनाए हुए है। इसके अलावा गुजरात के लोकल बॉडीा में 150 से ज्यादा चुने हुए मुस्लिम जनप्रतिनिधि हैं।’ हालांकि नकवी मानते हैं कि ‘ऐसा नहीं है कि सिर्फ एक विान डाक्यूमेंट आ जाने से देश के सारे मुसलमानों की सोच भाजपा के प्रति बदल जाएगी। पर हम अपनी ओर से एक ईमानदार कोशिश कर रहे हैं।’ नकवी बताते हैं कि ‘उनकी अध्यक्षतावाली विान डाक्यूमेंट टीम में सैय्यद शाहनवाज हुसैन, भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के अध्यक्ष अब्दुल राशिद अंसारी, तनवीर अहमद, जे.के.जैन, और जॉर्ज कुरियन जैसे लोग शामिल हैं। यह कमेटी अपने विान डाक्यूमेंट में मुसलमानों के शैक्षिक पिछड़ेपन, सामाजिक-आर्थिक रूप से उनके हाशिए पर होने, उनकी असुरक्षा और उनके राजनैतिक सशक्तिकरण के अभाव को चिन्हित कर रही है। यह कमेटी भारतीय मुसलमानों के तमाम समस्याओं का अध्ययन कर रही है और उसके एक सम्यक विवेचन की चेष्टा कर रही है कि अगर मोदी के नेतृत्व में भाजपा सत्ता में आई तो मुसलमानों को लेकर इस सरकार का नारिया क्या होगा।’
नकवी देश के मुसलमानों को लेकर चिंता जाहिर करते हुए कहते हैं कि ‘सन 1984 से पहले जो देश में सिख भाईयों को लेकर माहौल बना हुआ था, आज वैसा ही मुस्लिम नौजवानों के साथ है। उन्हें शक की निगाहों से देखा जा रहा है। उनके लिए नौकरी के अवसर कम होते जा रहे हैं और पाक समर्थित घटनाओं में जिस रफ्तार से वृध्दि हो रही है उनके प्रति समाज का नारिया उतना ही ज्यादा जटिल होता जा रहा है।’ नकवी यूपीए सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए कहते हैं कि ‘यह सरकार सिर्फ मुसलमानों का हितैशी होने का दिखावा भर करती है, नहीं तो क्या वजह थी कि यूपीए-1 के कार्यकाल में अल्पसंख्यक मंत्रालय गठित हो जाने के बाद साढ़े तीन साल तक तो उसे ऑफिस ही नहीं मिला, यूपीए-2 कार्यकाल में जब उनकी विदाई की बेला आ गई है तो अल्पसंख्यक कल्याण योजना की समीक्षा के लिए पिछले दो-तीन दिनों में कमेटी गठित की जा रही है। मैं कांग्रेस के कर्णधारों से पूछना चाहता हूं कि जब देश में 150 से ज्यादा जिले मुस्लिम दबदबे वाले चिन्हित हुए हैं और उन्हें प्रधानमंत्री ने अपना 15 सूत्री कार्यक्रम भी दे दिया, तो अब तक इन कार्यक्रमों को कितना अमलीजामा पहनाया जा सका है इसकी कभी समीक्षा क्यों नहीं हुई?’ भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नकवी देश के मुसलमानों को यह विश्वास दिलाना चाहते हैं कि वे नरेंद्र मोदी के प्रति अपना नारिया बदलें, क्योंकि मुसलमानों के कल्याण को लेकर मोदी का विान कहीं ज्यादा बड़ा और व्यापक है।
Posted on 10 August 2013 by admin
अगर खुफिया रिपोर्ट पर यकीन किया जाए तो आगामी विधानसभा चुनाव में छत्तीसगढ़ में भाजपा मौजूदा 50 विधायकों के आंकड़े से 30-32 सीटों पर लुढ़क सकती है। और इसका वोट शेयर भी 40 फीसदी से नीचे गिर सकता है। इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के पक्ष में एक सहानुभूति लहर चल रही है। इस रिपोर्ट के सामने आते ही सोनिया गांधी ने फौरन छत्तीसगढ़ कांग्रेस के एक प्रमुख नेता अजीत जोगी को तलब कर उनसे साफ कर दिया है कि इस दफे प्रदेश का चुनाव चरणदास महंत की अगुवाई में लड़ा जाएगा और न ही अजीत जोगी और ना ही उनके महत्त्वाकांक्षी पुत्र अमित जोगी को आगे रखा जाएगा। अगर चुनाव के उपरांत प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनती है तो जोगी की पत्नी को कैबिनेट में सीनियर मंत्री बनाया जा सकता है। पर साथ ही सोनिया ने जोगी को यह भी चेता दिया कि अगर इस दफे उन्होंने पार्टी से भीतरघात की चेष्टा की तो उन्हें कांग्रेस से बाहर का दरवााा दिखा दिया जाएगा। सोनिया के घर से लौटकर जोगी ने कथित रूप से बसपा के 2 सांसदों से मुलाकात की। सनद रहे कि राज्य में बसपा तीसरे नंबर की पार्टी है, उसका वोट शेयर 6.11 फीसदी है और 90 सदस्यीय छत्तीसगढ़ विधानसभा में उनके 2 सदस्य हैं। यानी जोगी ने भी अपने इरादों के दीदार करवा दिए हैं।
Posted on 05 August 2013 by admin
पार्टी के अंदर और बाहर अपने धुर विरोधियों से निपटने के लिए नरेंद्र मोदी की रणनीति तैयार है। सो, किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए जब आने वाले दिनों में मीडिया में लाल कृष्ण अडवानी, सुषमा स्वराज, यशवंत सिन्हा और शत्रुध्न सिन्हा जैसे भाजपा नेताओं के गड़े मुर्दे उखड़ जाएं। इस काम में मोदी को अमरीका की पीआर फर्म ‘एपको वर्ल्डवाइड’ का हर मुमकिन साथ मिल रहा है। अमरीका में रह रहे अपने कई अनिवासी भारतीय मित्रों की सलाह पर मोदी ने सर्वप्रथम अगस्त 2007 में पीआर कंपनी ‘एपको’ की सेवाएं ली थीं। तब से लेकर आज तक यह कंपनी मोदी और गुजरात को एक ब्रांड के तौर पर स्थापित करने में जुटी है। ‘वायब्रेंट गुजरात’ कैंपेन का आइडिया भी इसी कंपनी का बताया जाता है। सनद रहे कि अमिताभ बच्चन को गुजरात का ब्रांड एंबेसेडर बनाने और मोदी के लिए ‘नमो’ विशेषण प्रचारित करने में इसी कंपनी की भूमिका थी। सन् 2009 में मोदी ने इस कंपनी के साथ अपने करार को पुन: रिन्यू किया और बताया जाता है कि इस कंपनी के प्रयासों से अब तक गुजरात में 153बिलियन अमरीकी डॉलर का निवेश आ चुका है। इस कंपनी ने ‘वन इस्त्रायल’, ‘वन मलेशिया’ जैसे कई सफल राजनीतिक कैंपेन को परवान चढ़ाया है। भारत में इस कंपनी का ऑपरेशन मीडिया विशेषज्ञ सुकांति घोष देखते हैं।
Posted on 29 July 2013 by admin
अडवानी कैंप हालिया सियासी दुलत्ती खाकर भी चुप कहां बैठा है। वह पार्टी के अंदर और बाहर मोदी विरोध की अलख जगाने में जुटा है। यानी अडवानी कैंप का मोदी के लिए बड़ा साफ सा संदेशा है कि अपनी राजनीतिक अस्मिता की लड़ाई में वे मोदी के समक्ष आसानी से घुटने नहीं टेकेंगे। अडवानी की सबसे वफादार और लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने तो अपने इरादे पार्टी की गोवा कार्यकारिणी में ही सार्वजनिक रूप से स्पष्ट कर दिए थे। इसके बाद अडवानी दुलारे शत्रुध्न सिन्हा का बयान आया कि 2014 का लोकसभा चुनाव अडवानी के नेतृत्व में ही लड़ा जाना चाहिए। अब अडवानी कैंप के कुछ छुटभैय्ये नेताओं के बयान आ सकते हैं। फिर यशवंत सिन्हा मोदी विरोध का शंखनाद कर सकते हैं, और आखिर में अटल जमाने के पार्टी के वरिष्ठ नेता जसवंत सिंह का बयान आ सकता है। पर फिलवक्त तो मोदी व राजनाथ दोनों ही इन बातों से बेफिक्र दिखते हैं।
Posted on 21 July 2013 by admin
नरेंद्र मोदी के एकमात्र मीडिया मैनेजर हैं सुकांति घोष, जो एक अमेरिकन लॉबिंग फर्म ‘एपको’ के इंडिया आफिस के प्रबंध निदेशक हैं। मोदी को एक ब्रांड के तौर पर स्थापित करने के लिए सुकांति और उनकी टीम पिछले एक वर्ष से काम कर रही है। सूत्र बताते हैं कि ‘एपको’ कोई ‘हार्ड कोर पीआर एजेंसी’ नहीं है, इसको बिजनेस स्ट्रेटजी बनाने में महारथ हासिल है। इसके अलावा यह कंपनी अमेरिका में ‘पब्लिक अफेयर’ और ‘पब्लिक पॉलिसी’ बनाने में माहिर समझी जाती है। ये घोष ही थे जिसने मोदी को अपनी पहली मुलाकात में यह भरोसा दिला दिया था कि अगर मोदी उन्हें स्वतंत्र होकर काम करने दें तो वे मोदी को प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचा सकते हैं। सुकांति ‘ऑपरेशन मोदी’ को मुबंई व अमेरिका के अपने आफिस से चलाते हैं। अमेरिका की टीम ‘ब्रांड मोदी’ के ‘रीयल टाइम’ को मैनेज करती है, इसके अलावा 12 अमेरिकी कम्यूनिकेशंस एक्सपर्ट का एक जत्था सुकांति के मुंबई ऑफिस में बैठकर काम करता है। इसमें से प्रत्येक एक्सपर्ट की तनख्खाह लाखों डॉलर सलाना में है। सुकांति मोदी को एक मीडिया डॉकेट तैयार कर के देते हैं, जिसमें उनकी मीडिया स्ट्रेटजी से लेकर हर बारीक बात शामिल होती है जो मोदी को पीएम की कुर्सी तक ले जा सके, इसके अलावा मोदी नियम से राो एक घंटे सुकांति से बात करते हैं, उनका फीडबैक लेते हैं, नए जुमलों को आजमाते हैं और मीडिया के बााार में उसका असर देखते हैं। इससे पहले सुकांति बार्कले में कम्यूनिकेशंस डिपार्टमेंट के प्रमुख रह चुके हैं। प्रिंट और बांडकास्ट मीडिया में इनकी एक जबरदस्त पकड़ है। हैदराबाद के 5 रुपए का एंट्री टिकट का आइडिया भी सुकांति का ही बताया जाता है।
Posted on 14 July 2013 by admin
भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह अपनी इमेज बदलने की कवायद में जुटे हैं, जब से नितिन गडकरी, सुषमा स्वराज व अरूण जेटली जैसे भगवा दिग्गज पीएम पद की रेस से बाहर हो गए हैं, यूपी के इस ठाकुर नेता की बल्ले-बल्ले है। वे एग्रेसिव हुए हैं, हाईटेक हुए हैं और अतिशय आत्मविश्वास से लबालब भर गए हैं। ‘यूएस स्टेट डिपार्टमेंट’ के बुलावे पर राजनाथ 22 जुलाई को अमेरिका जा रहे हैं। उनकी इस यात्रा को तय करवाने में संघ के राम माधव का सबसे बड़ा हाथ है। राम माधव से अमेरिकी प्रशासन के पहले से ही बहुत मधुर रिश्ते हैं। राजनाथ इन दिनों पूरे देश का दौरा कर रहे हैं और राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मसलों पर खुल कर अपनी राय रख रहे हैं। चुनांचे मुद्दा इशरत का हो या डॉलर के मुकाबले रूपए की पतली होती हालत का, आपको इन मुद्दों पर राजनाथ जी के खुले विचार सुनने को मिले होंगे। अब वे अमेरिका जाकर और खुलना चाहते हैं, कुछ इतना कि अमेरिकी हितों व महत्त्वाकांक्षाओं को अपने अंदर समाहित कर सकें।