सेल के खेल में फेल है भाजपा |
May 23 2016 |
भगवा पार्टी में इस चिंता ने सर्वमान्यता हासिल कर ली है कि यहां जीत से कदम बहक सकते हैं, पर गलतियों से कोई सबक नहीं सीखा जाता। जब तक भाजपा विपक्षी दल की भूमिका में थी तो अशोक रोड स्थित इसके केंद्रीय कार्यालय में कम से कम 50 से ज्यादा सेल यानी प्रकोष्ट काम कर रहे थे, प्रकोष्ट भी ऐसे जो विदेश नीति, रक्षा मामलों, किसान नीति जैसे अहम मुद्दों पर बेबाकी से अपनी राय रखते थे। पर जैसे दिल्ली के निज़ाम पर मोदी काबिज़ हुए, तमाम प्रकोष्टों का बोरिया-बिस्तर समेट दिया गया, इसके कर्णधारों से कहा गया कि अब चूंकि केंद्र में उनकी पार्टी की सरकार है सो अलग-अलग विषयों पर विज़न डॉक्यूमेंट बनाने की क्या जरूरत है? इन सेल प्रभारियों से कहा गया है कि वे अपनी राय सरकार को सीधे दे सकते हैं। पर इन दो सालों में सरकार ने क्या किया है? आखि़रकार क्यों जमीनी आवाज़ों को अनसुनी करने की जरूरत आन पड़ी है? सबसे ज्यादा ढिंढोरा तो सफल विदेश नीति का पीटा जा रहा है, पर अपने पड़ोसी देशों के साथ हमारे रिश्तों को क्यों जंग लग रहा है? दो साल पहले तक लग रहा था नेपाल के साथ हमारा सब कुछ ठीक हो जाएगा, आज नेपाल पूरी तरह चीन की गोद में जा बैठा है। श्रीलंका का झुकाव भी चीन की तरफ बढ़ता जा रहा है, पाक के साथ हमारे रिश्तों में अब भी उतनी तल्खी है, ले देकर बांग्लादेश के साथ हमारे रिश्ते कुछ सुधरे हैं, पर वह भी शेख हसीना की वजह से। |
Feedback |