…और अंत में |
April 07 2021 |
ममता बनर्जी ने खुद घायल होकर बंगाल में भाजपा की उम्मीदों को गहरा आघात लगाया है, व्हील चैयर पर पैरों में प्लास्टर लगाए बैठी ममता अपने इसी नए नैरेटिव के साथ अब गांव-गांव प्रचार कर रही हैं, तृणमूल कैडर को पक्का भरोसा है कि अब ममता की ’बेचारगी’ की वजह से गरीब-गुरबों और महिलाओं के वोट छप्पर फाड़ कर बरसेंगे। ‘लोकल’ और ‘बाहरी’ के मुद्दे को भी एक नया परवाज़ मिलेगा, ममता को ललकार कर शुभेंदु अधिकारी अब नंदीग्राम में फंस गए हैं। भले ही वे ’पारा ब्यॉय’ यानी वहां के लोकल हैं, पर ममता ने भी खम्म ठोंककर कह दिया है कि ’वह नंदीग्राम की बेटी हैं।’ यानी 25 वर्षों तक अपने शागिर्द रहे शुभेंदु को ममता ने एक नया सियासी ककहरा कंठस्थ करा दिया है। इस लड़ाई के लिए ममता ने नंदीग्राम के चार कोनों पर चार घर किराए पर लिए हैं। वैसे भी ममता को अपने पुराने विधानसभा क्षेत्र भवानीपुर को छोड़ना ही था, क्योंकि भवानीपुर में गैर बंगाली मतदाताओं की एक बड़ी तादाद है और दीदी ने इस बार के चुनाव को ’बाहरी बनाम बंगाली’ बना दिया है। 24 तारीख को नंदीग्राम में पीएम की रैली है उनका नंदीग्राम के लिए ’शुभेंदु पारा’ का जुमला भले ही चल निकला हो, पर ममता के बुने नए नैरेटिव में भाजपा वहां फंस गई लगती है। |
Feedback |