अजीत का भगवा प्रेम |
April 02 2017 |
यूपी चुनाव के नतीजे आने के इतने दिनों बाद तक विरोधी पार्टियों में सियासी उफान जारी है। सूत्र बताते हैं कि पिछले दिनों अजीत सिंह ने अपने 4-5 खास विश्वासी लोगों को अपने फॉर्म हाउस पर मिलने को बुलाया। सूत्रों की मानें तो अजीत के शब्द थे, कि ’मैं 78 का होने को आया, अब सक्रिय राजनीति मेरे लिए उतनी आसान नहीं रह गई है, इस चुनाव में हमारा सिर्फ एक विधायक जीता है, छपरौली से, वह भी मात्र हजार वोट से। पहले इस सीट से हम 70 हजार से कम वोटों से नहीं जीता करते थे। यूपी के 13 जिलों में 27 सीटें ऐसी है जहां जाट वोट 26 फीसदी से ज्यादा है, फिर भी ये सीट हम नहीं निकाल पाए। जाटों की आबादी उस औसत से बढ़ भी नहीं रही है, सो अकेले जाट वोट से कुछ नहीं होगा जब तक कि हमारे साथ कुछ अन्य जातियां न जुड़ें।’ सो, बातों-बातों में अजीत ने संकेत दिए कि उनकी बात भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से हुई है, और इस वर्ष के अंत तक रालोद का विलय भाजपा में हो सकता है, भाजपा उनके 2-3 लोगों को एडजस्ट करने को तैयार है, हो सकता है वे जयंत को 19 में कमल के निशान पर लोकसभा लड़वा दें। सूत्र बताते हैं कि इस पर अजीत के इकलौते निर्वाचित विधायक बिदक गए, बोले-’चौधरी साहब आप बिरादरी की बाद में सोचते हो, परिवार की पहले।’ कहते हैं अजीत ने अपने विश्वासियों को भरोसा दिलाया है कि कोई भी बड़ा कदम उठाने से पहले वे पार्टी में आम सहमति बनाने के प्रयास करेंगे। |
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