प्रधानमंत्री की दरियादिली के कायल हुये 400 मजदूर

August 28 2016


प्रधानमंत्री के सरकारी आवास में अवस्थित उनके दफ्तर ‘पंचवटी‘ का चेहरा-मोहरा बदला जा रहा है, कोई 40 से ज्यादा कारपेंटर और उनके 350 से ज्यादा सहयोगी इसके निर्माण कार्य में जुटे हैं, युद्ध स्तर पर निर्माण कार्य जारी है और सितंबर के पहले हफ्ते तक इसे पूरा होना है। दिल्ली के कीर्ति नगर इलाके से एक सप्लायर उम्दा टीक की लकड़ी उपलब्ध करवा रहा है, सप्लायर्स को सख्त हिदायत है कि लकड़ी की गुणवत्ता पूरी तरह से जांची-परखी होनी होनी चाहिए उसमें एक भी गांठ न हो। पूरा डिजाइन इस तरह से बन रहा है कि 200 से ज्यादा दरवाजों का निर्माण हो रहा है, पूरे ढांचे में खिड़कियों के लिए कम ही स्थान रखा गया है। कारपेंटर व उनके सहयोगियों के मोबाइल फोन बाहर रिसेप्षन पर ही रखवा लिए जाते हैं। पहली बार जब ये मजदूर काम पर आये तो उनके साथ लाये टिफिन बॉक्स को सुरक्षा की नज़र से स्नीफर डॉग्स से चेक करवाया गया, इस पर इन मजदूरों ने सिर पर आसमान उठा लिया कि जिस खाने को कुत्ते ने सूंघ लिया तो वे इसे कैसे खा सकते हैं? जब इस बात की खबर पीएम मोदी को लगी तो उन्होंने सहृदयता जताते हुए पीएमओ के अधिकारियों से परिसर के अंदर इन मजदूरों के लिए खाने की व्यवस्था करने को कहा। आनन फानन में एक कैंटिन चालू की गयी, जिसमें इन 400 लोगों के लिए दोपहर और रात के भोजन व चाय-पानी का इंतजाम था। एक दिन स्वयं मोदी कार्य का निरीक्षण करने पधारे, वे एसपीजी के घेरे में थे, पर मजदूरों की तरफ हाथ हिलाकर उनसे बेसाख्ता पूछ लिया- ‘सब ठीक चल रहा है ? किसी बात की कोई कमी तो नहीं?’ मजदूरों की खुषी का ठिकाना न रहा, सभी ने समवेत स्वरों में हुंकार मार कर कहा- ‘जी, सब बहुत अच्छा है।‘ मेजबान के चेहरे पर कहीं दूर तक संतोष का उदात भाव पसर आया।

 
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