शाहरूख का बदला रुख |
April 22 2010 |
कम लोगों को यह बात मालूम होगी कि हिंदी, अंग्रेजी व ऊर्दू से अलहदा शाहरूख खान को संस्कृत भाषा का भी ज्ञान है, दिल्ली के राजेंद्र नगर रामलीला मंचन में शाहरूख ने सालों साल काम किया है, शाहरूख के बच्चे (एक बेटा व बेटी) जो अभी मुंबई में नीता अंबानी के स्कूल में पढ़ते हैं किंग खान चाहते हैं कि उनके बच्चे भी संस्कृत में पारंगत हो, सो उन्हें और गौरी को उनके बच्चों के लिए एक संस्कृत टीचर की दरकार है। वैसे भी शाहरूख के पिता पुराने कांग्रेसी रहे हैं और इंदिरा जी के कैबिनेट में तत्कालीन सिंचाई मंत्री के वे ओएसडी रह चुके हैं, शाहरूख की मां भी इंदिरा जी की करीबियों में शुमार हुआ करती थीं, इंदिरा जी ने न सिर्फ अपने शासन काल में शाहरूख की मां को मेजिस्ट्रेट बनाया था अपितु उन्हें एक तेल डिपो भी आबंटित करवाया था। शाहरूख के मरहूम वालिद पेशावर से भारत आए थे, तो शाहरूख के ससुराल वालों का भी एक पाक कनेक्शन है, उनकी सास चंपा तिवारी फैसलावाद की पंडित हैं। पर शाहरूख को आज तक पाकिस्तान से चाहे कितने भी निमंत्रण आए हों उन्होंने एक बार भी पाक का रूख नहीं किया है, शायद इसीलिए वे अब तक शाहरूख बने हुए हैं। |
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