रेसकोर्स की दौड़ से नाराज जनपथ

July 03 2011


बाबा रामदेव प्रकरण पर सोनिया व मनमोहन की नीतियों में एक साफ विभाजक रेखा दिखी, अव्वल तो सोनिया मंत्रियों को बाबा की अगवानी में एयरपोर्ट भेजने की पक्षधर नहीं थी, अलबत्ता केंद्रीय मंत्रियों को एयरपोर्ट भेजने से पहले पीएमओ ने सोनिया से जरूरी राय लेना भी मुनासिब नहीं समझा। सोनिया बाबा समर्थकों पर किसी कठोर कार्यवाही के पक्ष में नहीं थीं, जबकि चिदंबरम, कपिल सिब्बल व प्रणब पीएम को समझाने में कामयाब रहे कि पुलिसिया कार्यवाही किए बगैर बाबा का अनशन तुड़वाना आसान नहीं, सिब्बल व चिदंबरम ने सच्चे वकील के मानिंद जिरह की, वैसे भी वकीलों का सुलह में कितना विश्वास होता है?

 
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