मामा की जगह मोदी एमपी में

September 30 2023


मेरे ख्वाबों के सफर में सिलवटों सा यहीं कहीं ठहर जाओ तुम

मैं दूर से तेरे पास आया हूं ऐसे ना छोड़ कर जाओ तुम

सियासत की फितरत में ही अगर दगा शामिल है तो इस बात को मध्य प्रदेश के भगवा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से बेहतर और कौन जान सकता है, अठारह वर्षों तक मध्य प्रदेश के बेताज बादशाह रहने के बाद अब उनकी रुखसती की तैयारी है। अगर सिर्फ 15 महीने के कांग्रेस के शासन काल को छोड़ दें तो सबसे ज्यादा लंबे वक्त तक भगवा मुख्यमंत्री बने रहने का रिकार्ड भी उनके ही नाम है। जैसे-जैसे मध्य प्रदेश में भगवा जादू उतर रहा है, पार्टी ने शिवराज के चेहरे के बगैर चुनावी समर में उतरने का मन बना लिया है। हालिया थीम सांग-’मोदी मध्य प्रदेश के लिए, मध्य प्रदेश मोदी के लिए’ इसी बात की चुगली खाता है। चुनावी सीजन में जब राज्य में भाजपा की ’जन आशीर्वाद यात्रा’ भी फीकी रही तो पीएम मोदी ने मेन स्टेज पर आने का निर्णय सुना दिया। इस 25 सितंबर को भोपाल में मोदी की एक बड़ी रैली आहूत थी, पर मोदी ने मंच पर सीएम पद के अन्य चार उम्मीदवारों को भी विराजमान करा रखा था, मोदी ने अपने उद्बोधन में न तो सीएम शिवराज का नाम लिया और न ही उनकी किसी बड़ी सरकारी योजना का ही जिक्र किया। सीएम के प्रति पीएम की ‘बॉडी लैंग्वेज’ से आपसी समीकरणों के उतार-चढ़ाव को सहज समझा जा सकता था। रैली के अगले ही रोज शिवराज ने अपनी कैबिनेट की बैठक बुला ली, उसके तुरंत बाद अपने प्रमुख अधिकारियों की एक मीटिंग ले ली और उन सबका आभार भी जता दिया, सुनने वालों को ऐसा लगा मानो शिवराज अपनी ‘फेयरवेल स्पीच‘ दे रहे हों। सूत्र बताते हैं कि अगर इस बार शिवराज को सीएम पद की दावेदारी से मुक्त रखा गया तो वे 2024 में विदिशा लोकसभा सीट से अपनी दावेदारी पेश कर सकते हैं, पर कहते हैं कि भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने पहले से ही विदिशा से एक युवा चेहरे को मैदान में उतारने का मन बनाया हुआ है, बदलते वक्त की दीवारों पर लिखी इन इबारतों को शिवराज भी बखूबी पढ़ पा रहे हैं।

 
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