बड़ी मछली क्यों फिसली? |
May 07 2010 |
माधुरी गुप्ता के कथित जासूसी कांड की कई अनवरत परतों से अभी भी अंधेरा छंटना बाकी है, और खुफिया हलकों में इस बात पर बकायदा बहस शुरू हो गई है कि कहीं यह आईएफएस और आईएफएस(बी) लॉबी की अंदरूनी खींचतान की परिणति तो नहीं? सूत्र बताते हैं कि माधुरी पूर्व में ‘रॉ डेस्क’ के एक इंचार्ज ऑफिसर से काफी अंतरंग हो गई थीं, फिर किसी बात पर दोनों का झगड़ा हो गया और बात इस कदर बिगड़ी कि ‘रॉ’ के उक्त बड़े अधिकारी ने बकायदा माधुरी के बारे में लिखित शिकायत दर्ज करवाई कि माधुरी का चंद अवांछित व्यक्तियों से मिलना-जुलना है और तब से माधुरी अपने ‘सर्विस’ में शक के दायरे में आ गईं। पर सवाल अहम है कि क्या खुफिया विभाग की ‘अहम क्लासीफाइड जानकारियों’ तक माधुरी की पहुंच थी? खुफिया हलकों में अति संवेदनशील फाइल पर अंकित होता है- ‘फॉर योर ऑइज ओनली’ इससे कम संवदेनशील फाइलों पर क्रमश: ‘टॉप सीक्रेट’, ‘सीक्रेट’, ‘कांफिडेंशियल’ और फिर आखिर में ‘जनरल’ अंकित होता है। माधुरी की पहुंच उन ‘जनरल फाइलों’ तक भी नहीं थी, पाकिस्तान की अपनी पोस्टिंग के दौरान ऊर्दू अखबारों में छप रहे खबरों का अंग्रेजी मजमून तैयार करनी भर थी उनकी डयूटी, कभी-कभार वह दुभाषिया की तौर पर भारतीय उच्चायुक्त के साथ रहती थीं, रही बात भारतीय जासूसों की लिस्ट लीक करने की तो आईएफएस अफसरों की यह लिस्ट हर जगह उपलब्ध है और जिनकी पोस्टिंग सिविल लिस्ट में नहीं है, वह शक के दायरे में हैं। चुनांचे माधुरी तो महज एक मामूली मछली है, जांच एजेंसियों को अभी असली खिलाड़ी तक पहुंचना बाकी है। |
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