बिना थैली के रैली

March 07 2010


अपने चचेरे भाई राहुल को सदैव सुर्खियों का सिरमौर बनते देखा है वरुण गांधी ने, चुनांचे बदली परिस्थितियों में उन्हाेंने न सिर्फ सियासत के मिजाज को बखूबी परखने में महारथ हासिल कर ली है अपितु भगवा पार्टी के सियासी ककहरे को उन्होंने कंठस्थ करने में जरा हड़बड़ी भी दिखाई है। जहां एक ओर भाजपा यूपी में सुप्तप्राय: जान पड़ती है, वरुण ने उसी यूपी में, उसी बंजर भगवा जमीन पर रैलियाें का सैलाब ला दिया है। पहले सुल्तानपुर, फिर बुलंदशहर की वह चर्चित रैली जिसमें 35-40 हजार की भीड़ जुटी थी। वरुण इसके बाद सहारनपुर में रैली कर रहे हैं और उसके बाद जौनपुर में, और ऐसे ही कोई डेढ़ दर्जन रैलियों की योजना है उनकी। उनके चचेरे भाई राहुल को प्रोजेक्ट करने में पूरी कांग्रेस पार्टी अपने युवराज के पीछे एक जुट दिखती है। और यहां वरुण हैं जो धारा के विरुध्द एक नई सियासी इबारत लिखने की जद्दोजहद में जुटे हैं पर उनकी पार्टी उनका ही टेंट-तंबू उखाड़ने का उपक्रम साध रही है।

 
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