प्रणब दा सबसे बड़े खिलाड़ी

May 26 2010


यूपीए-एक और यूपीए-दो के शासन काल में सबसे बड़ा फर्क जो इन दिनों परिलक्षित हो रहा है वह है प्रणब दा की सक्रियता। घोर-जोर की सियासी सक्रियता जो इन दिनों उनके राजनैतिक विरोधियों को भी हैरत में डाल रही है, यूपीए-एक के दौरान इनके घटक दलों के सूरमा यानी लालू, मुलायम, शिबू या रामविलास अपनी बात या शिकायत लेकर सीधे यूपीए की चैयरपर्सन सोनिया गांधी से मिल लिया करते थे और अपने संकटों का समाधान पा जाते थे, पर यूपीए-2 के कार्यकाल में सुप्रीमो की यह कमान प्रणब मुखर्जी ने संभाल ली है, वे सीधे घटक दलों से मिल-बैठ-बतिया लेते हैं, खासकर संसद के पिछले ‘कटमोशन’ के बाद तो उनकी सक्रियता और भी बढ़ गई है। अभी प्रधानमंत्री के 24 तारीख वाले डिनर में आने के लिए उन्होंने सीधे बसपा सुप्रीमो बहिन जी को फोन लगा दिया, पर चतुर सुजान मायावती ने डिनर में आने से मना कर दिया है, और बहिन जी ने दादा को समझा दिया है कि उनके डिनर में शामिल होने से बसपा समर्थकों में ठीक संदेश नहीं जाएगा, यानी बहिन जी ने अपना भी संदेश कांग्रेस के पास साफ-साफ पहुंचा दिया है।

 
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