प्रणबदा का मान

March 16 2010


प्रणबदा भले ही प्रस्तावित महिला आरक्षण बिल से इत्तफाक न रखते हों पर उनके मन, मंत्रालय और शासन में महिलाओं के लिए एक खास जगह आरक्षित है। अब अमिता पॉल को ही ले लीजिए वर्तमान में यह वित्त मंत्रालय में सलाहकार के पद पर कार्यरत हैं और इन्हें प्रणबदा की ‘गाइडिंग फोर्स’ माना जाता है, सो वित्त मंत्रालय के सचिव स्तर की बैठकों में इन मैडम की उपस्थिति और महत्ता का सहज अंदाजा लगाया जा सकता है, ऐसी बैठकों में आम तौर पर प्रणबदा चुप रहते हैं और अमिता पॉल उतनी ही मुखर रहती हैं। इस दफे के लोकसभा चुनाव के दौरान जब सबको ऐसा लग रहा था कि केंद्र में कांग्रेस की वापसी तनिक मुश्किल है तो यूपीए के प्रथम शासनकाल के दौरान ही अमिता पॉल के लिए इंफार्मेशन कमिश्नर का एक नया पद सृजित कर दिया गया था, इत्तफाक देखिए कि जब फाइल स्वीकृति के लिए प्रधानमंत्री के पास पहुंची तो आज तक प्रधानमंत्री के उस फाइल पर हस्ताक्षर नहीं हो पाए हैं। चुनांचे इस दफे जैसे ही यूपीए शासन द्वितीय में कांग्रेस की वापसी हुई तो अमिता पॉल सूचना कमिश्नर के अपने संवैधानिक पद को छोड़कर सीधे प्रणबदा के साथ बतौर ओएसडी अटैच हो गईं। बाद में उन्हें वित्त मंत्रालय में सलाहकार के पद पर नियुक्त कर दिया गया। और आज की तारीख में वित्त मंत्रालय में अमिता पॉल की तूती बोलती है, सभी प्रमुख फाइल और प्रमुख व्यक्ति उनके पास से गुजर कर ही प्रणबदा के पास पहुंच पाते हैं, सो मैडम के ऑफिस में ट्रांसफर-पोस्टिंग के अभ्यर्थियों को परिक्रमा लगाते देखा जा सकता है, कई नामचीन उद्योगपति (यहां तक कि अनिल अंबानी भी)मैडम से मिलने के इंतजार में बाहर वेटिंग रूम में बैठे पाए जा सकते हैं। ऐसे में कई कांग्रेसी ऐसे हैं जो चाहते हैं कि मैडम के लिए वित्त मंत्रालय में एक नया विभाग सृजित कर उन्हें उसमें सचिव बना दिया जाए, पर मैडम और प्रणबदा के पास ऐसी सलाहों पर कान धरने के लिए अभी समय नहीं है।

 
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