नाइजीरिया का ड्रगमाफिया कनेक्शन

November 11 2013


नाइजीरिया और भारत के राजनयिक संबंधों को नए सिरे से परिभाषित करने की जरूरत महसूस होने लगी है, पिछले दिनों गोवा में जो कुछ हुआ और उस पर एक नाइजीरियन राजनयिक ने जिस प्रकार के एसएमएस भेजे दोनों देशों के बीच इसको लेकर संबंधों में और तल्ख़्ाी आ गई लगती है, एक अंतरराष्टï्रीय जांच एजेंसी ने तो नाइजीरिया स्थित भारतीय दूतावास की भूमिका को लेकर भी सवाल उठाए हैं और प्रकारांतर में उसने भारत सरकार को इस बारे में आगाह किया था कि वहां के भारतीय हाईकमान के अदृश्य लिंक्स की जांच होनी चाहिए, नहीं तो क्या वजह है कि नाइजीरिया स्थित भारतीय उच्चायोग बगैर किसी पुख्ता दस्तावेजों की इस बड़ी तादाद में नाइजीरिया के नागरिकों को भारत आने के लिए मेडिकल, बिजनेस, टूरिस्ट या स्टूडेंट वीसा जारी करता है। सो, ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या नाइजीरिया स्थित भारतीय उच्चायोग वहां के ड्रगमाफिया के प्रभाव में तो नहीं? अमरीकी एजेंसी डीईए (ड्रग इंफोर्समेंट एजेंसी) ने तो नाइजीरियन नागरिकों को लेकर कड़े दिशा-निर्देश जारी कर रखे हैं, कई भारतीय विश्वविद्यालयों ने विदेशी छात्रों को दाखिले के मामले में एडमिशन के दिशा-निर्देशों को पहले से कहीं ज्यादा सख्त बना दिए हैं, जिससे दिल्ली समेत कई प्रमुख विश्वविद्यालयों में नाइजीरिया के छात्रों के लिए एडमिशन पाना खासा मुश्किल  हो गया है, पर अभी भी पंजाब नाइजीरिया के छात्रों के लिए मक्का साबित हो रहा है, क्योंकि वहां के विश्वविद्यालयों में इनके लिए एडमिशन पाना कहीं ज्यादा आसान है, शायद यही वजह है कि पंजाब के युवा इस कदर ड्रग की गिरफ्त में है, भारत स्थित नाइजीरियन दूतावास ने तो वाकई भारतीय वकीलों का ऐसा पैनल हायर कर रखा है जिनको ड्रग के केस में महारथ हासिल है, पर भारत की मजबूरी यह है कि वह चाहकर भी नाइजीरिया से अपने राजनयिक संबंध बिगाडऩा नहीं चाहता, क्योंकि भारत अपनी कुल जरूरत का 17 फीसदी कच्चे तेल का आयात नाइजीरिया से ही करता है। और 10 लाख भारतीय नाइजीरिया में बसे हैं।

 
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