जजों की रिटायरमेंट उम्र बढ़ेगी

March 08 2011


कैबिनेट से स्वीकृति मिलने के बाद सरकार हाई कोर्ट के जजों की रिटायरमेंट की उम्र 62 से 65 वर्ष करने हेतु विधेयक लेकर आई है, यह 114वां संविधान संशोधन है। सरकार का मानना है कि ऐसा करने से कम से कम तीन साल तो नए जजों की नियुक्ति की जरूरत नहीं रह जाएगी और पेंडिंग केसों के निपटारों में भी तेजी आ जाएगी क्योंकि जो मुकदमा जिस जज के पास है उस पर फैसला सुनाने के लिए उन्हें वक्त मिल जाएगा। पर समझा जाता है कि सुप्रीम कोर्ट सरकार के इस निर्णय से इत्तफाक नहीं रखता है, क्योंकि वर्तमान परिपाटी में हाई कोर्ट के जो जज बेहतर काम कर होते हैं उन्हें पारितोषिक के तौर पर सुप्रीम कोर्ट में ले आया जाता है। पर इस नई व्यवस्था के बाद हाई कोर्ट के कम जज ही सुप्रीम कोर्ट आना चाहेंगे, क्योंकि ऐसे में वे फिर सुप्रीम कोर्ट में रिटायरमेंट के बाद वकालत नहीं कर पाएंगे, क्योंकि हमारी न्यायिक व्यवस्था के मुताबिक जो जज जिस कोर्ट में रहते हैं, या फिर वहां से रिटायर होते हैं उस कोर्ट में फिर वे प्रैक्टिस नहीं कर सकते।

 
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