चुनाव आयोग की मजबूरी |
September 29 2013 |
‘नज़रें बदलती हैं तो नजारे बदल जाते हैं, सुबह होती है तो सितारे बदल जाते हैं’ कांग्रेस पोषित मशीनरी को भी यह आभास हो चला है कि केंद्र का निज़ाम बस बदलने वाला है, तभी तो जब कांग्रेस के कुछ चुनींदा नेताओं ने इस आग्रह के साथ चुनाव आयोग से संपर्क किया कि इन पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के साथ-साथ लोकसभा के मध्यावधि चुनाव भी करवा दिए जाएं तो वहां से उन्हें दो टूक ‘ना’ सुनने को मिली। सूत्र बताते हैं कि चुनाव आयोग ने साफ कर दिया कि उसे देश में लोकसभा चुनाव करवाने के लिए कम से कम 6 महीने का वक्त चाहिए होता हैऔर 5 राज्यों के विधानसभा चुनावों में मात्र दो-ढाई महीने का ही वक्त रह गया है सो, वे चाह कर भी मुल्क में मध्यावधि चुनाव नहीं करवा सकते। |
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