खबरों की दुशाला है ‘मिर्च मसाला’ |
May 08 2011 |
विद्रोही कवि मुक्ति बोध के शब्द हैं-‘जो है उससे बेहतर चाहिए, दुनिया को साफ करने के लिए मेहतर चाहिए…।’ चुनांचे हम भी शब्दों को बाजार नहीं, विचारों का कारगर हथियार मानते हैं। वैसे भी सियासी आहटों को टटोलने, परखने व उसे संप्रेषित करने का जिम्मा ‘मिर्च मसाला’ ने एक दशक से ज्यादा समय से उठाया हुआ है। कहने को तो यह एक ‘गॉसिप’ कॉलम है, पर हम खबरों के प्रस्फुटन की आहट भांप लेते हैं। अभी पिछले ही हफ्ते ‘चक्कर सीडी व ईडी का’ शीर्षक के अंतर्गत इसी कॉलम में इसकी एक बानगी पेश हुई। इस खबर के छपने के बाद ठीक दो रोज के बाद मंगलवार को इसी को विस्तार देते हुए ‘इकॉनोमिक टाइम्स’ ने अपने पहले पेज पर इसी खबर को जगह दी। और शुक्रवार आते-आते इसी खबर के आलोक में सुप्रीम कोर्ट ने सहाराश्री व चैनल प्रमुख उपेंद्र राय को अदालत की अवमानना का नोटिस भी थमा दिया। |
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