क्या अल्पसंख्यक मंत्रालय पर ताला लगेगा?

December 02 2023


जब से केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्रालय से मुख्तार अब्बास नकवी की विदाई हुई है यह मंत्रालय अपनी किस्मत पर रो रहा है। कयास तो यह भी लगाए जा रहे हैं कि 2024 में अगर मोदी सरकार की वापसी होती है, जिसकी बहुत कुछ संभावनाएं दिख रही हैं, तो फिर इस मंत्रालय पर हमेशा के लिए ताला लटक सकता है। इसकी शुरूआत अभी से हो चुकी है। सूत्र बताते हैं कि मंत्रालय के दो पीएसयू को बंद करने की पूरी तैयारी हो चुकी है, इनमें से एक है ’मौलाना आजाद एकेडमी ऑफ स्कीम्स’ दूसरा है ’मौलाना आजाद एजुकेशन फाऊंडेशन’। साथ ही ‘सेंट्रल वक्फ काउंसिल‘ को भी बंद करने की तैयारी है। जब से इस मंत्रालय से नकवी की विदाई हुई है, उनके साथ जुड़े अधिकारी गण जो मंत्रालय की विभिन्न स्कीम देखते थे, वे लगभग खाली बैठे हुए हैं, उन्हें दूसरे कार्यों में नहीं लगाया गया है, कई कर्मचारी जो कांट्रेक्ट पर थे उन्हें बाहर का दरवाजा दिखा दिया गया है। अधिकारियों को विभिन्न मंत्रालयों में एडजस्ट करने पर विचार हो रहा है। सच्चर कमेटी की सिफारिशों के अनुमोदन के लिए 2009 में मुस्लिम छात्रों की मदद के लिए ’मौलाना आजाद नेशनल फेलोशिप’ शुरू हुई थी, इसे 2022 में बंद कर दिया गया है। ’पढ़ो परदेस’ स्कीम पर भी तालाबंदी कर दी गई है। ’सबका साथ, सबका विकास’ के आह्वान के विरोधाभास में 2020-23 के मंत्रालय के बजट में 38 फीसदी की कमी कर दी गई, 2023-24 के बजट में 637 करोड़ की कमी की गई है, ये करोड़ों झिलमिलाते उम्मीदों की रोशनी को ही ग्रहण है? समावेशी भारत का सपना क्या ऐसे भला मुकम्मल हो पाएगा?

 
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