कुर्सी से मिजाजपुर्सी

June 18 2013


मनमोहन सरकार में अपेक्षाकृत एक कनिष्ठ मंत्री राजीव शुक्ला के लिए रविवार की वह शाम एक सुखद आश्चर्य की तरह थी, उनके लिए चैन्ने से फोन था और फोन की दूसरी तरफ तमिल महारानी जयललिता स्वयं लाइन पर थीं। जयललिता शुक्ला जी से जानना चाहती थीं कि सोमवार को नई दिल्ली के योजना आयोग में आहूत मीटिंग में वे रहेंगे कि नहीं। शुक्ला जी की हामी मिलने के बाद जयललिता ने फोन रख दिया। सोमवार को प्लानिंग कमीशन में साढ़े दस बजे से मीटिंग थी। ठीक सुबह के पौने दस बजे तमिलनाडु हाऊस की एक सरकारी गाड़ी योजना आयोग के पोर्टिको में रूकती है, उसमें से दो लाल रंग की बेहद शानदार कुर्सियां उतारी जाती हैं। इनमें से एक कुर्सी योजना आयोग के उपाध्यक्ष मंटोक सिंह आहलूवालिया के कमरे में रख दी जाती है और दूसरी कांफ्रेंस हॉल में। बताया जाता है कि चूंकि जयललिता पीठ के दर्द से परेशान रहती हैं सो, वे आम कुर्सियों पर नहीं बैठ सकतीं। नियत समय पर जयललिता भी पहुंची अपने छपे हुए भाषण की प्रतियों के साथ। मीटिंग की समाप्ति के बाद मंटोक व शुक्ला जी तमिल महारानी को जब नीचे छोड़ने आए तो दोनों बाहर का दृश्य देखकर हैरान रह गए, पहले जयललिता के लिए उनकी एसयूवी गाड़ी में एक स्पेशल पायदान लगाया गया, कार के साथ पंक्तिबद्द होकर लोकसभा व राज्यसभा के 15 सांसद लुंगी व शर्ट में खड़े थे, उनकी शर्ट की जेब में जयललिता की फोटो, सभी करबद्द होकर तमिल महारानी के सम्मान में एक भाव से नीचे झुके हुए, यह किसी तमिल फिल्म का दृश्य लग रहा था। हैरतअंगेज तो यह कि इस पंक्ति में थंबीदुरै जैसे पार्टी के वरिष्ठ सांसद भी शामिल थे। जयललिता के जाते ही मंटोक और राजीव शुक्ला ने आंखों ही आंखों में एक-दूसरे की ओर देखा और राहत की सांस ली।

 
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